खंडवा. एक जिला एक उत्पाद में शामिल प्याज के भाव किसानों को नहीं मिल रहा है और न ही प्याज भंडारण की व्यवस्था है। प्याज खपाने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट तक नहीं लग सकी। बेमौसम बारिश में खराब होने के बावजूद उत्पादन अच्छा हुआ है। प्याज की गुणवत्ता खराब होने से मंगलवार सब्जी मंडी में एक रुपए किलो भाव हो गया। इससे नाराज किसानों ने दस हजार किलो से ज्यादा प्याज परिसर में फेंक दी। नाराज किसानों ने नगर निगम तिराहे पर एक हजार किलो से ज्यादा प्याज राहगीरों को मुफ्त में बांट दी। भेरूखेड़ी, सुरगांव जोशी से मंडी में प्याज बेचने पहुंचे किसानों ने कहा कि प्याज की फसल तैयार करने में लाखों खर्च हो गए। भाव नहीं मिलने से पैसे के साथ ही मेहनत पर पानी फिर गए। भेरूखेड़ी निवासी लंकेश पटेल ने कहा कि मंडी में भाव नहीं है। भंडारण की व्यवस्था भी नहीं है। सरकार प्याज खरीद नहीं रही है। पहले मौसम ने फसल बर्बाद कर दी। बची फसल की कीमत बाजार में नहीं मिल रही है। कई किसानों ने कहा कि खेत में हल चला दिया। प्याज ने किसानों को आंसू निकाल दिया।
इससे परेशान किसानों ने मंडी में सैकड़ो् क्विंटल उपज फेंक दी और शहर में लोगों को मुफ्त बांट दी। इस दौरान किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है। इस दौरान भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी और सदस्य भी मौजूद रहे।
दो लाख मीट्रिक टन से ज्यादा उत्पादन
उद्यानिकी विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज जानकारी के अनुसार चालू सीजन में दस हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे पर प्याज की बोवनी की गई है। उत्पादन दो लाख मीट्रिक टन से ज्यादा का अनुमान है। बेमौसम बारिश के दौरान प्याज खराब हुई है। उत्पादन घटने के साथ ही गुणवत्ता ठीक नहीं है। इस बार प्याज खंडवा जिले से बाहर नहीं जा रही है। व्यापारियों को भय है कि प्याज बारिश में खराब हो गई है। इससे भंडारण नहीं किया जा सकता है।
इस लिए गिरे भाव
जानकारों के अनुसार खेती में बारिश के दौरान भीगी प्याज की फसल का भंडारण नहीं किया जा सकता है। खेत से निकलने के बाद तीन से चार दिन के भीतर ही प्याज खराब हो रही है। इस बार प्याज भंडारण करने लायक भी नहीं है। इससे बाजार में भाव गिर गए हैं।
फुटकर 15 रुपए किलो बिक रही प्याज
मंडी में मंगलवार को तीन से साढ़े पांच रुपए प्रति किलो प्याज नीलाम हुई। बाजार में फुटकर औसत पंद्रह से बीस रुपए किलो की दर से बिक रही है। बताते हैं कि थोक में खरीदारी कर उसमें से अच्छी और कम गुणवत्ता वाली प्याज का ढेर अलग-अलग लगाकर दस, पंदह और बीस रुपए तक बेची जा रही है। मोहल्ले की दुकानों में तो बीस से नीचे नहीं बिक रही है।
किसान बोले
लाखों रुपए डूब गई जमा पूंजी
दो एकड़ प्याज की बोवनी की। प्रति एकड़ 60-70 हजार रुपए खर्च हुआ। मंडी में भाव एक रुपए किलो है। इस पर निर्णय लिया कि बेचने से अच्छा तो लोगों को बांट दें, उनके खाने से पुण्य मिलेगा। सरकार प्याज का भावांतर दे या फिर मुआवजा दे।
लंकेश पटेल, किसान भेरूखेड़ा, फोटो—केडी 1703
वर्जन
मुआवजा दे सरकार
तीन एकड़ प्याज बोई है। लाखों रुपए लागत से बोनी की। बाजार में आठ आना एक रुपए किलो है। खेत से मंडी लाने का किराया भी वसूल नहीं हो रहा है। कट्टा का भाव नहीं मिलने से शहर वालों को बांट दिया। मंडी परिसर में सैकड़ो क्विंटल प्याज सड़ रही है। सरकार मुआवजा दे।
रतन पटेल, किसान, सुरगांव जोशी,फोटो केडी-1702