ग्रामीणों ने सहायक स्टेशन मास्टर को अपनी मांग को लेकर ज्ञापन भी दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि अब हमारे सब्र का बांध टूटता जा रहा है। कोरोना काल से पहले बगमार स्टेशन गुलजार था। यहां कटनी-भुसावल पैसेंजर रुका करती थी। कोरोना काल के बाद िस्थति सामान्य हो गई और ट्रेनें भी सुचारू रूप से शुरू हो गई, लेकिन बगमार स्टेशन को जैसे रेलवे प्रशासन ने अपने नक्शे से ही हटा दिया। यहां पांच साल हो गए एक भी ट्रेन नहीं रुक रही है।
ग्रामीण अशोक पाल ने बताया कि डीआरएम, स्टेशन मास्टर और सांसद को भी ज्ञापन दिया है। इसके बाद अपने ट्रेन चलाने के लिए हर एक पंचायत से पत्र भी डीआरएम और रेलवे जीएम तक पहुंचाया। पोस्टऑफिस जाकर इसकी रजिस्ट्री की लेकिन कभी हमारे पत्रों का जवाब नहीं दिया गया। रेलवे प्रशासन को हमारी व्यथा नहीं दिख रही है। अब हमारे सब्र का बांध टूटने लगा है। अभी भी हमारे सुनवाई नहीं होती है तो पुरा गांव स्टेशन पर जमा होकर आंदोलन करेगा।
राजेंद्र सिंह सोलंकी का कहना है हम कोई नई मांग नहीं रख रहे हैं। हमारे स्टेशन पर पूर्व की तरह पैसेंजर ट्रेन रुकना शुरू हो जाए। यही मांग कर रहे है लेकिन हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ट्रेन का स्टापेज नहीं होने से एक या दो गांव के लोग नहीं दर्जन भर गांव है जो प्रभावित हुए हैं। इसी अपनी मांग को लेकर आज हमने सहायक स्टेशन मास्टर को ज्ञापन दिया है।