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किशनगढ़

Kishangarh – बाड़मेर की 26 महिलाएं बनीं सोलर इंजीनियर

अब अपने क्षेत्र के 150 अंधेरे घरों को करेंगी रोशन

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मदनगंज-किशनगढ़. बेयरफुट कॉलेज (समाज कार्य एवं अनुसन्धान केंद्र) तिलोनियां में सोलर प्रशिक्षणार्थियों का दो महीने का प्रशिक्षण पूरा हो गया। इस उपलक्ष में ग्रेज्युएशन कार्यक्रम भी हुआ। राजस्थान के बाड़मेर जिले के धनाऊ, सांवां, तालसर, सरपेतला और मीठडाऊ गांवों से सौर प्रशिक्षण के लिए आई 26 ग्रामीण महिलाओं का प्रशिक्षण पूरा हो गया। इन 26 ग्रामीण और अनपढ़ महिलाओं ने 2 महीने के सौर प्रशिक्षण और 15 दिनों के उद्यमिता प्रशिक्षण को पूरा कर लिया।

यह परियोजना भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सीडबी) के माध्यम से वित्तपोषित किया गया और इसे बेयरफुट कॉलेज तिलोनिया ने आयोजित किया। इस परियोजना के अंतर्गत 50 महिलाओं को बेयरफुट सोलर इंजीनियर का प्रशिक्षण देकर उनके गांवों में बिजली की पहुंच से दूर 300 घरों को सोलर उर्जा के माध्यम से रोशन करना और इन महिलाओं को उद्यमिता प्रशिक्षण के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बना है। इसके तहत जून माह में भी एक बैच में बाड़मेर के ही गांवों की करीब 24 ग्रामीण महिलाओं को पूर्व में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। वह जून में प्रशिक्षण पूरा कर अपने गांव लौट चुकी हैं और अपने गांव में घरों को सोलर रोशनी से रोशन करने के कार्य में जुटी हैं। इसी क्रम में बाड़मेर के ही ग्रामीण ईलाके की 26 अनपढ़ महिलाएं भी अपना 2 महीने का प्रशिक्षण पूरा कर सोलर इंजीनियर के रूप में तैयार हो गई हैं।प्रशिक्षण में मिला तकनीकी ज्ञान

सौर प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षणार्थियों को सोलर लालटेन और होम लाइटिंग सिस्टम बनाना, स्थापना करना और मरम्मत के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण महिलाओं को आवश्यक कौशल प्रदान करता है ताकि वे अपने गांव, समुदायों में स्वच्छ और स्थाई ऊर्जा ला सकें और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की पहुंच की समस्या का समाधान कर सकें। साथ ही उद्यमिता प्रशिक्षण के माध्यम से इन महिलाओं को माइक्रोउद्यमिता कौशल, विपणन तकनीक, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, बैंकिंग और महत्वपूर्ण व्यापारिक रणनीतियों से सशक्त बनाया गया है।सेहत को लेकर किया जागरूक

मुख्य प्रशिक्षण घटकों के अतिरिक्त इस प्रोग्राम के तहत महिलाओं को जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर मूल्यवान ज्ञान भी प्रदान किया गया है। जिसमें मासिक धर्म और प्रजनन स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, कचरा प्रबंधन और जल एवं स्वच्छता शामिल हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के पूरा होने के बाद बाड़मेर के ग्रामीण क्षेत्र की ये 26 महिलाएं अब अपने गांवों में 150 घरों को सोलर उर्जा से रोशन करेंगी। जहां बिजली की आवश्यकता को पूरा करने की बहुत आवश्यक है। इसके अलावा यह महिलाएं एसएचजी (एसएचजी) के गठन के माध्यम से समूह उद्यम की स्थापना करेंगी। इससे वे सापेक्ष रूप से सौर उत्पादों की बिक्री कर सकेंगी और अपनी समुदायों के आर्थिक विकास में योगदान कर सकेंगी।ग्रेज्युएशन समारोह सम्पन्न

ग्रेजुएशन समारोह में संस्था के सभी कार्यकर्ताओं ने इन प्रशिक्षणार्थियों की हौसला अफजाई की और अपने अनुभव भी साझा किए। प्रशिक्षणार्थी महिलाओं ने हम होंगे कामयाब गीत की सुन्दर प्रस्तुति दी। सभी प्रशिक्षणार्थियों को संस्था की ओर से दुशाला ओढाकर और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। सभी प्रशिक्षणार्थियों को स्मार्टफोन और होम लाइटिंग सिस्टम भी गिफ्ट दिए गए। संस्था के प्रशासन समन्वयक भंवरसिंह, रामनिवास, रामजीवन, कमलेश, बद्रीलाल और सभी सोलर मास्टर ट्रेनर कार्यक्रम में शामिल रहे।