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मिथक टूटा: कोरिया राज परिवार कभी नहीं हारता चुनाव, आठवीं बार में करारी हार

बैकुंठपुर सीट पर राजघराने का रहा सात बार दबदबा, कोरिया राजघराने के स्व डॉ रामचंद्र सिंहदेव ने सरगुजा राजघराने के टीएस सिंहदेव को हरा चुके थे।

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बैकुंठपुर। विधानसभा चुनाव-२०२३ में कोरिया राजघराने का अजेय बने रहने का मिथक टूट गया और आठवीं बार राजपरिवार से चुनाव मैदान में उतरी प्रत्याशी अंबिका सिंहदेव को करारी हार मिली। भाजपा प्रत्याशी भईयालाल राजवाड़े ने राजपरिवार की कांग्रेस प्रत्याशी अंबिका को रेकॉर्ड 25413 वोट से शिकस्त दी है। कोरिया के बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर राजघराने का दबदबा रहा है। इस सीट पर अब तक १६ बार चुनाव हो चुके हैं। जिसमें सात बार राज परिवार(कांग्रेस और एक बार निर्दलीय) के रूप में विधायक चुने गए हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय में वर्ष १9५२ में पहली बार चुनाव हुआ था। तब से लेकर २०२३ तक १६ बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। पहली बार हुए चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के ज्वाला प्रसाद उपाध्याय चुनाव जीतकर विधायक बने थे। फिर वर्ष १9५7 में कांग्रेस से बिजेंद्र लाल गुप्ता, वर्ष १9६२ में दोबारा ज्वाला प्रसाद उपाध्याय चुने गए थे। कांग्रेस ने १9६7 में कोरिया राजपरिवार से स्व रामचंद्र सिंहदेव को चुनाव मैदान में उतारी थी। जो १9६7, १97२ विधायक चुनाव जीते थे। लेकिन १977 में डॉ रामचंद्र सिंहदेव ने चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया। जिससे कांग्रेस ने अधिवक्ता गुलाब गुप्ता को टिकट दिया था, लेकिन ज्वाला प्रसाद उपाध्याय को जीत मिली थी। राजघराने से सात बार विधायक चुने गए हैं। स्व रामचंद्र सिंहदेव छह बार और उनकी भतीजी अंबिका सिंहदेव एक बार विधायक बनी थींं। वहीं तीन बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और भाजपा से चार बार विधायक चुने गए हैं।

वर्ष १99० में आमने-सामने थे कोरिया और सरगुजा राजघराने

वर्ष १98० के चुनाव में कांग्रेस ने कोरिया राजघराने के स्व सिंहदेव को टिकट नहीं दिया और सरगुजा राजघराने से महारानी देवेंद्र कुमारी सिंहदेव को टिकट दिया था। जिससे कोरिया-सरगुजा राजघराने से मिलकर चुनाव लड़े और कांग्रेस की उम्मीदवार देवेंद्र कुमारी सिंहदेव को जीत मिली थी। वर्ष १98५ में देवेंद्र कुमारी दोबारा मैदान में उतरीं, लेकिन भाजपा के द्वारिका गुप्ता से हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने वर्ष १99० में सरगुजा राजघराने के टीएस सिंहदेव(निवर्तमान उप मुख्यमंत्री) को टिकट दिया था। जिससे कोरिया राजघराने के स्व रामचंद्र सिंहदेव नाराज होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे थे। जो कांग्रेस के टीएस सिंहदेव, भाजपा के द्वारिका गुप्ता को परास्त कर विधायक चुने गए थे। फिर १९९३, १९९८, २००३ के विधायक चुनाव जीते थे।

२०२३ में राजपरिवार की अंबिका सिंहदेव भारी मतों से हारीं

वर्ष २००8 में स्व रामचंद्र सिंहदेव के संन्यास लेने के बाद भाजपा के भईयालाल राजवाड़े दो बार विधायक चुने गए थे। वर्ष २०१8 के चुनाव में कांग्रेस से राजघराने की अंबिका सिंहदेव को टिकट दिया और कांग्रेस ने बैकुंठपुर सीट पर दोबारा कब्जा जमाया है। वहीं वर्ष २०२३ में राजपरिवार से दोबारा अंबिका चुनाव मैदान में उतरीं थीं। इधर भाजपा से भईयालाल चुनाव मैदान में उतरे और राजपरिवार की अंबिका को रेकॉर्ड 25413 वोट से पराजित किया है।