शादाब अहमद
कोटा शहर से होकर मैंने ग्रामीण इलाकों की ओर रुख किया। जैसे-जैसे कोटा से दूर होता गया, वैसे-वैसे चमचमाती सडक़े खस्ताहाल और धूल के गुबार उड़ाने वाली होती चली गई। फोरलेन हाईवे से ढाबादेह होते हुए हीरियाखेड़ी वाली सडक़ से रामगंजमंडी जाते समय गड्ढों के चलते कार में कई बार हिचकोले खाए। देखें ग्राउंड रिपोर्ट—