मंदसौर.
पिछले दिनों रबी फसल काटने के दौर में जिले में बेमौसम हुई बारिश व ओलावृष्टि से किसानों के खेतों में खड़ी फसलों में नुकसान हुआ। बात किसानों की थी तो पूरा प्रशासन व जिले के दोनों मंत्री भी खेतों में किसानों के बीच पहुंचे और उन्हेें सर्वे के बाद राहत का आश्वासन दिया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि कई दिनों के बाद भी प्रशासन का पूरा अमला अब तक यह रिपोर्ट ही तैयार नहीं कर पाया कि जिले में कितना ओर कहा-कहा अधिक नुकसान हुआ है। किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए मुआवजे का दावा भले ही किया ओर किसान भी राहत का इंतजार कर रहे है लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी प्रशासन तहसीलों से रिपोर्ट आने की बाट जोह रहा है। हालांकि प्रारंभिक रुप से अलसी से लेकर इसबगोल व गेहूं व धनिए में नुकसान की बात सामने आई है लेकिन कितने किसानों की कितनी फसल इस प्राकृतिक मार में खराब हुई है। इस प्रश्न का अब तक जिला प्रशासन उत्तर नहीं ढूंढ पाया है। जिले का भूअभिलेख विभाग भी सवालों के बीच कलेक्ट्रेट में बैठकर उत्तर ही ढूंढ रहा है।
चुनावी वर्ष में प्रशासन की लेटलतीफी किसानों में बड़ा रही आक्रोश
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा व पर्यावरण मंत्री हरदीपसिंह डंग के साथ सांसद सुधीर गुप्ता भले ही अलग-अलग गांवों में फसल नुकसानी देखने पहुंचे हो लेकिन कितने किसानों का नुकसान हुआ यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है। ओलो ने जिले में कितने हेक्टेयर की फसल को प्रभावित किया। यह आंकड़ा भी जिला प्रशासन पूरा मिलकर भी नहीं जुआ पाया है तो राहत की बात कोसों दूर है। इसी सीजन में इसके पूर्व भी ओलावृष्टि से नुकसान हुआ था। ऐसे में ओलावृष्टि के बीच किसान भले ही मुआवजे की आस लिए बैठे हो लेकिन प्रशासन का सर्वे का खेल ही पूरा नहीं हो रहा है। ऐसे में किसानों में आक्रोश भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बीच फसल बीमा की क्लेम राशि का भी किसानों को लंबे समय से इंतजार है।
ओलो के दिए जख्मों पर राहत का मरहम नियमों के फेर में उलझा
पूर्व में भी इसी सीजन में जनवरी माह में ओलावृष्टि हुई थी और फिर माह की शुरुआत में भी ओलावृष्टि जिले में हुई। मल्हारगढ़ से लेकर पिपलियामंडी व सीतामऊ से लेकर शामगढ़ व दलोदा सहित जिले के अधिकांश जगहों पर ओलावृष्टि हुई तो बारिश भी हुई। इससे किसान भले ही नुकसानी बता रहे हो लेकिन ओलावृष्टि के जख्मों पर राहत का मरहम नियमों के फेर ही में ही उलझ रहा है। ३० प्रतिशत से अधिक नुकसान होने पर ही किसान को राहत व मुआवजा मिलना होता है लेकिन जनवरी में इसी कारण राहत नहीं मिली। हालांकि उस समय भी भानपुरा क्षेत्र के २४ गांवों में नुकसानी की रिपोर्ट थी लेकिन उन्हें भी मुआवजा नहीं मिला। इस बार भी किसानों को दी जाने वाली मुआवजा राशि इन्हीं नियमों के फेर में उलझी तो किसानों को राहत राशि से वंचित होना पड़ेगा। इस बीच प्रशासन का अमला खेतों में पहुंचने सेलेकर सर्वे का दावा जरुर कर रहा है लेकिन अब तक नुकसानी के आंकड़े ही नहीं जुटा पाया है।
रिपोर्ट का इंतजार
प्रारंभिक रुप से अलसी, इसबगोल व धनिया के अलावा कुछ स्थानों पर गेहूं में नुकसानी की जानकारी आई है। अभी तहसीलदारों से सर्वे रिपोर्ट आना बाकी है। रिपोर्ट आने के बाद ही जिले में फसल नुकसानी की सही जानकारी आएगी। रिपोर्ट के आधार पर राहत के लिए शासन को जानकारी दी जाएगी। -आरपी वर्मा, एडीएम, मंदसौर