मिर्जापुर. जिले में तीन दिन पूर्व पहुंचे पीएम मोदी ने केंद्र और प्रदेश सरकार के विकास कार्यो की जमकर सराहना की थी। लेकिन जिले के विकास की तस्वीर कुछ और ही कहती है। जिसका जीता जागता उदाहरण जिला मुख्यालय से तकरीबन 6 किमी की दूरी पर विंघ्याचल के पास स्थित दानव राय बेसिक प्राइमरी स्कूल है। इस स्कूल की हालत इन दिनों बद-से-बदतर हो चली है। 1977 में स्थापित इस प्राइमरी स्कूल की दिवारे दरक चुकी है। और छत को गिरे कई साल गुजर चुके है।
हालत यह है कि बच्चे टीन सेड के नीचे पढ़ने को मजबूर है। जरजर हो चुकी टीन सेड हादसे को दावत दे रही है। आलम यह है कि बरसात के दिनों में यह टीन सेड भी बच्चों का साथ छोड़ देती है। कहने को तो पाठशाला में 92 बच्चों ने दाखिला लिया है। लेकिन इनमे मौजूदगी मजह पच्चीस से तीस बच्चों की है। जिन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी एक शिक्षिका को सौंपी गई है।
हैरान करने वाली बात है कि विकास का दंभ भरने वाली केंद्र और प्रेदश की सरकार का ध्यान प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर क्यों नहीं जाता। आखिर दानव राय बेसिक प्राइमरी पाठशाला के बच्चों को जरूरी सुविधाए मुहया क्यों नहीं कराई जा रही? यहां न तो शौचालय है और नहीं ही लाइट। इन्हें प्रदेश सरकार भले ही व्यवस्था के नाम पर स्कूल ड्रेस वह बैग दे रही लेकिन यह इनके लिए न कफी है। सवाल लाजमी है कि जब भवन और मूलभूत सुविधाए ही नहीं होंगी तो बच्चे बैठेंगे कहां और पढ़ेगें कहां ?
वहीं जब प्राथमिक पाठशाला की हालत को लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण तिवारी से बात की गयी तो उन्होंने इसका ठिकरा नगरपालिका पर फोड़ दिया। और बताया कि यह स्कूल किराए की जमीन में चल रहा है। बहुत पहले स्कूल के लिए जमीन का आवंटन हो चुका है। लेकिन अधिकारियों कि लापरवाही से उस समय स्कूल का निर्माण नहीं हो सका। वह जमीन खाली पड़ी रही।
बतादें कि विंध्याचल के कंतित ओझला पुल से लेकर बरतर तिराहे के बीच यह इकलौता सरकारी स्कूल है। कुछ समय पहले तक इस प्राथमिक स्कूल का प्रयोग चुनावो के समय मतदान केंद्र के तौर पर भी किया जाता था। लेकिन स्कूल कि खराब हाल को देखते हुए तत्कालीन जिला अधिकारी सयुक्ता समद्दार ने इस स्कूल का नाम मतदान केंद्र से बाहर करवा दिया था। अब सवाल खड़ा होता है कि जो प्रथमिक स्कूल मतदान केंद्र के लिए उपयुक्त नहीं है व भला छात्रों के पाठन-पठन के लिए कैसे उपयुक्त है ?
By- सुरेश सिंह