नागौर शहर के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में से एक, विवेकानन्द मॉडल स्कूल के बच्चों की सेहत पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। स्कूल के ठीक सामने एक अघोषित कचरा डंपिंग यार्ड बना दिया गया है, जिससे इलाके का पर्यावरण और बच्चों की सेहत दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं। कचरे के कारण न केवल बच्चों की पढ़ाई में विघ्न आ रहा है, बल्कि दूषित हवा और पानी से स्वास्थ्य संकट भी बढ़ गया है।
कचरा यार्ड और बच्चों की सेहत पर प्रभाव
विवेकानन्द मॉडल स्कूल के सामने स्थित कचरा यार्ड के कारण स्कूल परिसर में हमेशा दुर्गंध बनी रहती है। यहां पर लाखों टन कचरे के जमा होने से न सिर्फ वायु प्रदूषण बढ़ा है, बल्कि यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। कचरे से उठने वाली गंध के कारण बच्चों को उल्टी तक की समस्या हो रही है। साथ ही, कचरे के कारण इलाके में विषैले मच्छरों की संख्या में भी वृद्धि हो गई है, जो स्वाइन फ्लू, डेंगू और मलेरिया जैसे रोगों के फैलने का कारण बन सकते हैं।
विद्यालय प्रशासन और जिला प्रशासन से शिकायतें
विद्यालय प्रशासन ने इस समस्या को गंभीरता से लिया और कचरा यार्ड की स्थिति के बारे में नगर परिषद और जिला कलक्टर को ज्ञापन दिया। लेकिन इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रमिला यादव ने बताया कि कचरे के कारण बच्चों की बिगड़ती सेहत के बारे में जिला कलक्टर को जानकारी दी जा चुकी।
भू-जल और पर्यावरण पर संकट
कचरे का ढेर न केवल बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रहा है, बल्कि आसपास के भू-जल और पर्यावरण पर भी गंभीर असर डाल रहा है। कचरे के कारण पानी और हवा में प्रदूषण की स्थिति बढ़ गई है। वैज्ञानिक शोधों में यह पाया गया है कि इस प्रकार के डंपिंग यार्ड के आसपास के पानी में खतरनाक स्तर पर सल्फेट, नाइट्रेट और अन्य रासायनिक तत्व मिल जाते हैं। यह पानी न केवल पीने योग्य नहीं होता, बल्कि इसके संपर्क में आने से त्वचा रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है।
निर्धारित स्थल पर ही डाला जा रहा
कचरे का निस्तारण निर्धारित स्थानों पर किया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद कचरे का ढेर बढ़ता ही जा रहा है। उनका कहना है कि इस मुद्दे पर और ध्यान दिया जाएगा, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।
गोविंद सिं भींचर, आयुक्त नगरपरिषद नागौर