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जिले के खनिज क्षेत्रों में खनन स्थलों के आसपास से हरियाली गायब, गर्म हो रहा धरती का तापमान

नागौर. खनिज पदार्थों का दोहन करने वालों ने पर्यावरण को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया है। दूर-दूर तक मीलों केवल बंजर जमीन के नजारे प्रशासनिक जिम्मेदारों की कार्यशैली को खुद-ब-खुद बताते हुए नजर आ रहे हैं। लापरवाही के चलते ही अब जिले में खनन स्थलों के आसपास के क्षेत्र मरुभूमि में बदल रहे हैं। प्रावधानों […]

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नागौर. खनिज पदार्थों का दोहन करने वालों ने पर्यावरण को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया है। दूर-दूर तक मीलों केवल बंजर जमीन के नजारे प्रशासनिक जिम्मेदारों की कार्यशैली को खुद-ब-खुद बताते हुए नजर आ रहे हैं। लापरवाही के चलते ही अब जिले में खनन स्थलों के आसपास के क्षेत्र मरुभूमि में बदल रहे हैं। प्रावधानों के बाद भी इनके आसपास हरियाली बिलकुल नहीं है। हालांकि प्रावधानों की आड़ में लीजधारकों की ओर से अन्यत्र पौधरोपण आदि कर इतिश्री कर ली जा रही है, लेकिन खनन के आसपास हरियाली नहीं होने की वजह से अब वातावरण में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। वैसे इस संबंध में करीब ढाई़ साल पूर्व सुप्रीम कोर्ट की ओर आई सीईसी कमेटी ने भी चिंता जताई थी, लेकिन कमेटी की मौजूदगी में सुर में सुर मिलाने वाले अधिकारियों के सुर भी कमेटी के यहां से जाने के बाद बदल गए। इसके चलते अब न केवल इसका असर वायुमंडल के तापमान पर पड़ रहा है, बल्कि पूरा पर्यावरणीय ढांचा ही समाप्त होने के कगार पर पहुंच चुका है।
लीज एरिया हो रहे बंजर…!
जिले में खनन स्थलों के पास खड़े हो
कर देखने पर मीलों दूर तक हरियाली का एक टुकड़ा भी नजर नहीं आता है। जिले में आलनियास, लूंगिया, कीरो की ढाणी, जसनगर, माणकपुर, भावण्डा, बड़ी खाटू, मूण्डवा, खींवसर एवं गोटन आदि खनन स्थलों के आसपास के क्षेत्रों में अधिकतर एरिया बंजर भूमि में बदल गया है। इन क्षेत्रों में खननकर्ताओं ने खनिज पदार्थों का तो अधाधुंध खनन कर लिया,ल ेकिन आसपास के क्षेत्रों में हरियाली के लिए पौधों को लगाना भूल गए।
मरुभूमि में बदलता जा रहा एरिया
जिले के लीज धारकों की ओर से खनन एरिया में खनन के दौरान प्रावधानों का ध्यान नहीं रखा गया। इन क्षेत्रों में पौधे या पेड़ आदि नहीं लगने के चलते न केवल यहां का वायुमंडल गर्म रहता है, बल्कि सामान्य दिनों में भी गर्म हवाओं के थपेड़ों की वजह से सफर करना मुश्किल हो जाता है। दूर-दूर तक देखने पर भी पौधे नजर नहीं आते। इनकी जगह विशालकाय बंजर एरिया नजर आता है। इसकी वजह से यह पूरा क्षेत्र भी अब मरुभूमि में बदलता जा रहा है। हालांकि कुछ जगहों पर पूर्व में लगभग दो से तीन साल साल पहले सीईसी कमेटी की सलाह पर विभाग की ओर से खानापूर्ति के लिए लीज तो बंद करा दी गई, लेकिन बंद होने के साथ ही एरिया में हरियाली कराए जाने का प्रावधान भी है। इसके बाद भी जिले के ज्यादातर खनन एरिया सूने ही नजर आते हैं।
प्रावधान की आड़ में इस तरह कर दी जा रही खानापूर्ति
खनिज विभाग के अनुसार खनिज स्थल के आसपास के क्षेत्रों के पर्यावरणीय संतुलन के लिए हरियाली के लिए पौधे आदि लगाकर उनकेा संरक्षित करने का प्रावधान है। इसके तहत कुल लीज एरिया के 30 प्रतिशत क्षेत्रों में हरियाली के लिए पेड़ एवं पौधे आदि लगाया जाना अनिवार्य है। प्रत्येक लीज आवंटन के दौरान इसका बाण्ड भी भरा जाता है। बताते हैं कि प्रावधानों की आड़ में लीजधारकों की ओर से वर्तमान में स्कूल, पंचायत एवं गोशाला संचालकों से बात कर वहीं पर पौधे लगा दिए जाने के साथ संरक्षण की जिम्मेदारी उनको दे दी जाती है। यानि की इन जगहों पर तो पौधरोपण कर दिया गया, लेकिन खनन स्थल के आसपास के क्षेत्र यूं ही सूखे और बंजर होकर रह गए। इसके चलते स्थिति विकट होती जा रही है।
इतने एरिया में अनिवार्य रूप से होनी चाहिए थी हरियाली
अकेले नागौर खनिज एरिया में सात हजार से ज्यादा हेक्टेयर एरिया में लीज आवंटित है। एरिया के हिसाब से औसतन 30 प्रतिशत के अनुसार कम से कम दो हजार हेक्टेयर एरिया में हरियाली होनी चाहिए थी। इसी तरह से नागौर खनि एरिया में गोटन एरिया मिला लिया जाए तो हरियाली विकसित करने का एरिया इससे ढाई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। विभागीय जानकारों के अनुसार से कुल लगभग आवंटित लीज एरिया के अनुक्रम में चार से पांच हजार हेक्टेयर एरिया में हरियाली विकसित होनी चाहिए थी।
जोड़: खनिज विभाग की खबर में
एक नजर इस पर भी
नागौर रेंज में कुल आवंटित लीज-709
लीज आवंटित एरिया-7362.62
नागौर रेंज में आवंटित लीज एरिया में 30 प्रतिशत के हिसाब से 2208 हेक्टेयर में होनी चाहिए थी हरियाली
एक्सपर्ट व्यू….
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हिम्मताराम भांभू से बातचीत हुई तो उनका कहना है कि खनन स्थल से हरियाली गायब होने का मामला उनकी ओर से हाल ही में पर्यावरण समिति की हुई बैठक में भी उठाया गया था। भांभू ने कहा कि वर्तमान में 48 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंचना प्राकृतिक चेतावनी है। इस चेतावनी को नहीं समझा गया तो फिर 60 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंचेगा। जिस दिन 60 डिग्री तक तापमान पहुंचने लगा तो उसमें मानव या किसी भी प्राणी का भी रहना मुश्किल हो जाएगा। इसके लिए पेड़ लगाना जरूरी है। भांभू ने बताया कि जिले के खनन एरिया का भ्रमण करने के दौरान कहीं भी हरियाली नहीं मिली है। इसका पूरा असर मौसम चक्र पर पड़ा है। अब भी यदि खनन एरिया में हरियाली के प्रयास नहीं किए गए तो हालात इतने ज्यादा भयावह हो जाएंगे कि इनको संभालना मुश्किल हो जाएगा।
इनका कहना है…
खनन एरिया में प्रावधानों के अनुसार हरियाली विकसित करने के लिए विभाग की ओर से लीजधारकों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। इस संबंध में जल्द ही विभाग की ओर से विशेष टीम गठित कर जांच की जाएगी। जांच में प्रावधानों की पालना नहीं होने पर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
नरेन्द्र खटिक, खनि अभियंता, खनिज विभाग नागौर