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video–हे राम, ये “काली’ शाम! सिर्फ 14 घंटे नसीब हुआ मां का आंचल, बच्ची आंखें खोलती उससे पहले दुनिया में नहीं रही गायत्री

मेड़ता सिटी. घर पर कॉल करके सूचना दी कि कुछ देर में हम आ रहे हैं। इधर... परिजनों ने "लक्ष्मी' के आगमन को लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी। घर से केवल 7-8 किमी की दूरी बची थी...। तभी एक भीषण टक्कर और पहली संतान की खुशियां गम में बदल गई।

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– बाकी रह गया था सात किमी का सफर, दो घरों में “लक्ष्मी’ के आगमन की खुशियां गम में बदली

मेड़ता सिटी. घर पर कॉल करके सूचना दी कि कुछ देर में हम आ रहे हैं। इधर… परिजनों ने “लक्ष्मी’ के आगमन को लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी। घर से केवल 7-8 किमी की दूरी बची थी…। तभी एक भीषण टक्कर और पहली संतान की खुशियां गम में बदल गई। गुरुवार की रात जन्मी बच्ची को केवल 14 घंटे की मां का आंचल नसीब हो सका। बच्ची ने आंखें खोलकर अपनी मां को देखा भी नहीं था और गायत्री दुनिया में नहीं रही। डिलीवरी के बाद घर लौटते समय हादसे की सूचना पाकर परिवार व मोहल्ले का हर कोई व्यक्ति स्तब्ध रह गया।

नागौर के पास छावटा से परम्परानुसार प्रथम प्रसव के लिए खुशी-खुशी रेण में अपने पिता गुदड़राम के घर रह रही गायत्री पत्नी अशोक बावरी को गुरुवार रात प्रसव पीड़ा होने पर 11.30 बजे मेड़ता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया। रात 2.30 बजे करीब गायत्री ने बच्ची को जन्म दिया। बच्ची के जन्म पर घर में हर कोई खुश था। सुबह मिठाईयां बांटकर मुंह मीठा करवाया गया। इसके बाद सामान्य प्रसव होने के चलते परिजनों ने शुक्रवार शाम को डिस्चार्ज करवा लिया। रेण जाने के लिए वैन किराये पर ली। फोन से सूचना दी गई कि हम गायत्री व बच्ची को लेकर आ रहे हैं। मेड़ता से 9 किमी दूर चले और अपने गांव रेण से 7-8 किमी का सफर बाकी रह गया था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। सामने से काल बनकर दौड़ती आई लोक परिवहन की बस को गायत्री ने अपने आंखों के सामने आते हुए देखा, लेकिन कुछ कर नहीं पाई। एक भीषण टक्कर ने 14 घंटे तक दुलार के बाद नवजात बच्ची से उसकी मां का साया सदा-सदा छीन लिया।

चरितार्थ हुई “जाको राखे सांईया…’ की कहावत

इस सड़क दुर्घटना में “जाको राखे सांईया, मारे सके ना कोई…’ की कहावत भी चरितार्थ हुई। निजी बस की इतनी भीषण टक्कर। मां की मौत। चालक भी नहीं बचा। तीन अन्य परिजन भी गंभीर घायल हुए पर नवजात बच्ची मां और नानी के बीच उछलकर बच गई। हादसे के बाद बचाव में जुटे ग्रामीणों ने रोने की किलकारी सुनी तो पहले बच्ची को निकाला। ऊपर वाले का करिश्मा देखिए इतने भीषण हादसे में भी बच्ची को खरोच तक नहीं आई है। वो एकदम स्वस्थ है। उसे अस्पताल में भर्ती किया गया है।

परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल

पुत्री की मृत्यु और पत्नी के गंभीर रूप से घायल होने पर गुदड़राम सहित परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। इसी तरह ससुराल छावटा में दुर्घटना में बहू की मौत के समाचार पहुंचे तो वहां भी शोक की लहर छा गई। रेण में मोहल्ले वासी भी इस खबर से स्तब्ध है। इस बीच घर में बच्ची के स्वागत की खुशियां गम में बदल गई।