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Nagaur patrika…मिलीभगत के खेल में राजकीय भूमि पर अवैध कब्जा कर पक्के निर्माणों की लगी होड़…VIDEO

नागौर. प्रशासनिक रूप से मिलीभगत के खेल में सरकारी भूमि पर जहा-तहां अवैध कब्जे होने लगे हैं। अवैध कब्जे के साथ ही कई जगहों पर तो पक्के निर्माण तक खड़े कर दिए गए हैं। अवैध कब्जों की चल रही होड़ में तालाबों की पाल से लेकर अंगोर तक की भूमि तक पर भी कब्जे होने […]

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नागौर. प्रशासनिक रूप से मिलीभगत के खेल में सरकारी भूमि पर जहा-तहां अवैध कब्जे होने लगे हैं। अवैध कब्जे के साथ ही कई जगहों पर तो पक्के निर्माण तक खड़े कर दिए गए हैं। अवैध कब्जों की चल रही होड़ में तालाबों की पाल से लेकर अंगोर तक की भूमि तक पर भी कब्जे होने लगे है। इसके चलते अतिक्रमी न केवल प्रमुख तालाबों में प्रतापसागर तालाब, समस तालाब, गिनाणी तालाब एवं बख्तासागर आदि तालाब क्षेत्रों की भूमि निगल चुके हैं, बल्कि सरकारी भूखण्डों को साफ करने में लगे हुए हैं। कारण बताते हैं कि जिम्मेदारों की शह के चलते पिछले दो साल के दौरान कोई कार्रवाई न करना रहा है।
इन क्षेत्रों में सरकारी जमीनों पर कब्जे
जिले की सरकारी जमीनें खतरे में हैं। ज्यादातर भूखण्डों पर अतिक्रमी कब्जे कर चुके हैं। स्थिति यह है कि शहर के प्रतापसागर तालाब, गिनाणी तालाब, समस तालाब एवं बख्तासागर आदि तालाब की पाल पर ही पक्के निर्माण नहीं किए गए हैं, बल्कि इसके आसपास क्षेत्रों की भूमि भी पर कब्जा कर वहां पर पक्के निर्माण कराया जा जा चुका है। बताते हैं कि बीकानेर रोड, आफिसर्स कॉलोनी, पीएचडीई कॉलोनी के पास, बड़ली, डेह रोड, गुढ़ला चौराहा के पास, जिला मुख्यालय स्टेडियम के सामने, ताऊसर रोड, मेला मैदान, एसीबी कार्यालय के बाहर, मूण्डवा रोड जीएसएस के सामने आदि क्षेत्रों में अतिक्रमियों ने सरकारी भूमि पर कब्जा कर कच्चे व पक्के दोनो ही तरह के निर्माण कर लिए हैं।
यहां पर भी हो रहे अवैध कब्जे
शहर के प्रतापसागर तालाब स्थित बड़लेश्वर महादेव मंदिर से तालाब के दूसरे पर इसके पानी को सुखाकर करीब 50 मीटर से ज्यादा भूखण्ड के हिस्से पर कब्जा किया जा चुका है। इसी रास्ते से सलेऊ रोड की ओर आगे बढऩे पर नाले के निकट ही अवैध रूप से कब्जा कर पक्की दुकानें तक बनाई जा चुकी है। इसके बाद जो भूमि बची है। उस पर भी अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है।
फिर भी नहीं कर रहे कार्रवाई
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे के खिलाफ भू राजस्व अधिनियम के तहत तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार दोनों ही कार्रवाई करते हैं। सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे के खिलाफ लोगों की ओर से कई बार शिकायतें दी गई। इसके बाद भी कथित रूप से मिलीभगत का खेल इसमें बाधक बन गया। यही स्थिति स्थानीय निकायों की रही है। सूत्रों की माने तो तालाब की पाल या तालाब के पेटे अवैध कब्जे नहीं हो सकते हैं, लेकिन स्थानीय निकायों की अंदरूनी तौर पर हुई सहमति के कारण ऐसे भूखण्डों पर अवैध कब्जा कर निर्माण करने के मामलों में तेजी आई है। सूत्रों की माने तो सरकारी भूखण्डों पर अवैध कब्जा कर निर्माण करने के बाद टूटने से बचने के लिए प्रशासनिक जिम्मेदारों की ओर से खुद के स्तर पर चुपचाप उनको कानूनी दांवपेंच तक बताए जा रहे हैं। जिसके चलते कई जगहों पर हुए सरकारी जमीनों पर अवैध निर्माणों को अब तक तोड़ा नहीं जा सका है।

इनका कहना है…
सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे व निर्माणों को लेकर प्रशासन पूरी तरह से सचेत है। इसकी जांच करा ली जाएगी। अवैध कब्जा मिलने पर ऐसे लोगों से सख्ती से निपटा जाएगा।
नृसिंह, तहसीलदार नागौर
नगरीय निकाय की भूमि पर अवैध कब्जे के संदर्भ में जांच कर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए जल्द ही टीम गठित कर जांच कराई जाएगी।
रामरतन चौधरी, आयुक्त नगरपरिषद नागौर