नागौर. सिटी उपडाकघर में सामने आए 1.60 करोड़ रुपये के गबन प्रकरण को दो वर्ष से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन सरकारी राशि की वसूली अभी भी शुरू नहीं हो पाई है। विभागीय जांच, संपत्ति विवरण तैयार होने और सीबीआई द्वारा आरोपी की गिरफ्तारी तक की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बावजूद राजस्व वसूली अधिनियम के तहत कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है। डाक विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उन्होंने बार-बार पत्र लिखकर प्रशासन को वसूली आरंभ करने का अनुरोध किया, लेकिन अब तक इस प्रक्रिया में तेजी नहीं आ पाई है।
वर्ष 2021 में खुला था मामला
घोटाले का खुलासा वर्ष 2021 में तब हुआ जब आरोपी डाक सहायक सुरेश पूनिया द्वारा उपडाकघर के लिए प्रतिदिन असामान्य रूप से अधिक कैश मंगवाया जा रहा था। लगातार बढ़ती नकद मांग पर अधिकारियों को संदेह हुआ और उन्होंने प्रारंभिक जांच करवाई। जांच में लेनदेन के कई रिकॉर्ड संदिग्ध मिले, जिसके बाद विभाग ने तीन सदस्यीय विशेष टीम गठित की। टीम ने विस्तृत जांच में पूनिया को दोषी ठहराते हुए पूरी रिपोर्ट विभाग को सौंप दी।
डाक विभाग ने प्रशासनिक अधिकारियों को भेजे पत्र
रिपोर्ट के आधार पर डाक विभाग ने सरकारी राशि की रिकवरी के लिए राजस्व वसूली अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू की। इसके लिए विभाग ने आरोपी की संपत्तियों—जमीन, मकान, बैंक खातों और नकद लेनदेन—का विस्तृत तथ्यात्मक ब्योरा तैयार किया। इन विवरणों की प्रमाणिकता जांची गई और उसके बाद संपूर्ण दस्तावेज जिला प्रशासन को भेजे गए। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में एक दर्जन से अधिक पत्र कलक्टर, उपखंड अधिकारी और तहसीलदार को भेजे गए, जिनमें वसूली प्रक्रिया प्रारंभ करने का स्पष्ट अनुरोध किया गया। इसके बावजूद जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने पर विभाग में निराशा है। अधिकारी कहते हैं कि विभाग अपने स्तर पर आवश्यक सभी प्रक्रियाएँ पूरी कर चुका है, लेकिन वसूली का अंतिम आदेश प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में आता है। दूसरी ओर, जांच एजेंसियों के स्तर पर मामला आगे बढ़ चुका है। विभागीय जांच के बाद सीबीआई को इसकी जांच सौंपी गई थी। सीबीआई ने पूरे मामले की पड़ताल करते हुए सुरेश पूनिया को दोषी पाया और चार्जशीट दायर की थी। प्रकरण में आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
सत्यापित ब्योरा दिया जा चुका है
विभाग आरोपी की सभी संपत्तियों का सत्यापित ब्योरा प्रशासन को उपलब्ध करा चुका है। उनका कहना है कि अब वसूली पूरी तरह प्रशासन के हाथ में है, और विभाग को आज तक यह जानकारी नहीं मिली है कि प्रक्रिया किस चरण में लंबित है।
रामावतार सोनी, जिला डाक अधीक्षक नागौर