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Nagaur patrika…रोडवेज बसों में सुरक्षा का बड़ा झोल: आग से बचाव की तैयारियाँ वर्षों से कागजों में ही…VIDEO

नागौर रोडवेज डिपो की बसों में सुरक्षा व्यवस्था में बड़ा झोल सामने आया है। इसके बसों में यात्रियों के बचाव की तैयारियां केवल कागजों पर ही लंबे समय से चल रही है। रोडवेज बसों की पड़ताल की गई सामने आया कि रोजाना सैकड़ों यात्रियों को लेकर चलने वाली इन बसों में आपातकालीन स्थितियों से निपटने […]

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नागौर रोडवेज डिपो की बसों में सुरक्षा व्यवस्था में बड़ा झोल सामने आया है। इसके बसों में यात्रियों के बचाव की तैयारियां केवल कागजों पर ही लंबे समय से चल रही है। रोडवेज बसों की पड़ताल की गई सामने आया कि रोजाना सैकड़ों यात्रियों को लेकर चलने वाली इन बसों में आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए आवश्यक बुनियादी इंतजाम भी नहीं हैं। कई बसों में न तो कार्यशील अग्निशमन सिलेंडर हैं, न ही सुरक्षा किट, और न ही प्रशिक्षित स्टाफ। पड़ताल के दौरान यह स्थिति रोडवेज डिपो की लापरवाही को उजागर करती नजर आई। जिसमें दमकल विभाग की अनिवार्य एनओसी तक वर्षों से नवीनीकरण नहीं किया गया है। इसके अलावा, मेडिकल किट भी केवल खानापूर्ति के रूप में रखी जाती है। इसमें खोले जाने पर एक ट्यूब के अलावा कुछ भी नहीं मिलता है।

आपातकालीन इंतजामों की भारी कमी
नागौर रोडवेज डिपो की हालिया जांच में कई बसों में अग्निशमन सिलेंडर तक अनुपस्थित पाए गए। जो सिलेंडर मौजूद थे, उनकी वैधता अवधि समाप्त हो चुकी थी। इसके अलावा, इमरजेंसी हैमर, फस्र्ट-एड बॉक्स, सुरक्षा किट जैसे आवश्यक उपकरणों की कमी भी हर दूसरी बस में पाई गई। इन उपकरणों के बिना, इन बसों को आग या तकनीकी खराबी की स्थिति में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना मुश्किल होगा।

स्टाफ का प्रशिक्षण नहीं

रोडवेज डिपो का स्टाफ आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित नहीं है। डिपो के पास इस बात का स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं है कि चालक और परिचालकों को आखिरी बार फायर सेफ्टी और आपातकालीन प्रबंधन का प्रशिक्षण कब दिया गया था। कई चालक और परिचालक मानते हैं कि उन्हें वर्षों से कोई रिफ्रेशर ट्रेनिंग नहीं मिली है। इस कमी से हादसे की स्थिति में यात्रियों को सुरक्षित निकालने में देरी और अफरा-तफरी की संभावना बढ़ जाती है।

सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा
नागौर से गुजरने वाले यात्रियों रमेश, जुगलकिशोर, रामभरोसे, सुमिला, प्रमोद, मुकेश का कहना है कि बसों का किराया लगातार बढ़ा है, लेकिन सुरक्षा इंतजाम में कोई सुधार नहीं हुआ। जर्जर वायरिंग, इंजन के गर्म होने की समस्या, टूटी हुई इमरजेंसी हैमर, और खाली अग्निशमन सिलेंडर जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। यात्रियों का सवाल है कि अगर कोई बड़ा हादसा हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। नागौर रोडवेज की मौजूदा स्थिति यह दर्शाती है कि सुरक्षा को विभाग ने प्राथमिकता सूची से हटा दिया है। आपातकालीन उपकरणों की कमी, बिना प्रशिक्षित स्टाफ और जरूरी दस्तावेजों की अनदेखी से यह स्पष्ट होता है कि यात्रियों की सुरक्षा के बजाय विभाग केवल जोखिम में डालकर बसों का संचालन कर रहा है। अब सवाल यह है कि क्या विभाग घटनाओं का इंतजार करेगा, या वह सुधार के दिशा में ठोस कदम उठाएगा, ताकि भविष्य में कोई बड़ा हादसा न हो। इस संबंध में कार्यवाहक रोडवेज के मुख्य प्रबंधक का कार्यभार संभालने वाले नेमाराम पूनिया से उनके मोबाइल पर संपर्क किया गया, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला।
बसों में व्यवस्था तो है
बसों मेंकई तो काफी पुरानी है, फिर भी नागौर डिपो की बसों में अग्निशमन यंत्र एवं आपातकालीन गेट की व्यवस्था आदि है। अग्निशमन यंत्र कुछ के पुराने हो चुके है तो आधे को रिफ्रेश करा दिया गया है। कुछ बचे हैं इनको भी करा दिया जाएगा।
नेमाराम पूनिया, कार्यवाहक मुख्य प्रबंधक रोडवेज नागौर