नागौर. रामदेव पशु मेले का समापन तो चार दिन पहले ही हो गया था, लेकिन अभी इसके मैदान में दो सौ नागौरी नस्ल के खरीदे गए बैल खड़े हैं। कारण बताया जा रहा है कि बलदेवराम पशु मेले के दौरान हुई घटना की त्रासदी से अब तक वाहन चालक उबर नहीं पाए हैं। इसके चलते पशुपालकों की ओर से किए जाने वाले तमाम प्रयासों के बाद भी बमुश्किल वाहन चालक महाराष्ट्र व एमपी जाने के लिए तैयार हो रहे हैं, लेकिन इनमें पचास फीसदी वाहन चालक ऐसे हैं है कि, यह भी डरे हुए हैं।
आश्वासनों के बाद भी हिचक रहे वाहन चालक
बलदेवराम पशु मेले में गत वर्ष हुई घटना ने पशुपालकों को संकट में डाल दिया है। प्रशासन की ओर से दिए जा रहे आश्वासनों के बाद भी ज्यादातर वाहन चालक एमपी या महाराष्ट्र आदि क्षेत्रों में जाने से साफ मना कर रहे हैं। मेले के मैदान में आए हुए वाहन चालकों में सुगन, मोहित व राजाराम से बातचीत हुई तो उनका कहना था कि यहां से तो आश्वासन खूब मिल रहा है, लेकिन रास्ते में जाने पर देर रात्रि कोई अप्रिय स्थिति आ जाएगी तो फिर क्या करेंगे। कई बार अधिकारी फोन भी नहीं उठाते हैं। अब ऐसे में उनकी गाडिय़ां पिछली बार की तरह फिर से पकड़ ली गई तो इसकी भरपाई कौन करेगा। पिछले साल भी पशु परिवहन के दौरान बैलों को तो गोशालाओं में भेज दिया गया था, और गाडिय़ां सीज कर दी गई थी। इसका दंश तो अब तक कई वाहन चालक भुगत रहे हैं। ऐसी शंकाओं के बीच पशुपालकों एवं अधिकारियों की समझाइश भी वाहन चालकों का डर नहीं दूर कर पा रही है। इसके चलते अब स्थिति विकट होने लगी है।
पशुओं के लिए की जा रही व्यवस्थाएं
मेला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि जो नागौरी बैल यहां पर खरीदे जाने के बाद भी किन्हीं कारणों से अब तक नहीं जा पाए हैं। उनके लिए पानी आदि की व्यवस्थाएं की जा रही है। जबकि पशुपालक सुवालाल का कहना था कि प्रशासन पानी की व्यवस्था तो कर रहा है, लेकिन चारा आदि तो उनको ही मंहगी दरों पर खरीदना पड़ रहा है। जबकि अपने पास लाए वह ज्यादातर पैसा तो बैलों की खरीद में व्यय कर चुके हैं। ऐसे में जैसे-तैसे व्यवस्था कर किसी तरह वह पशुओं के लिए चारा आदि ला रहे हैं, लेकिन यह स्थिति और ज्यादा दिनों तक बनी तो फिर मुश्किल हो जाएगी।
प्रशासन को करनी चाहिए व्यवस्था
भाकियू के जिला उपाध्यक्ष प्रेम सुख जाजड़ा का कहना है कि रामदेव पशु मेले का शुभारंभ करने के दौरान जिला कलक्टर अरुण कुमार पुरोहित ने पशुपालकों की हर समस्याओं का समाधान करने के लिए आश्वस्त किया था। अब किन्हीं कारणों के चलते यदि पशुपालकों को गाडिय़ां नहीं मिल पा रही है तो फिर इसकी व्यवस्था जिला प्रशासन को करनी चाहिए। बैलों के गंतव्यों तक पहुंचने की अवधि में पूरी निगरानी भी रखनी होगी, तभी बात बन पाएगी।
यह हैं हालात…बेहाल पशुपालक
रामदेव पशु मेले में मुख्य गेट से प्रवेश करने पर सामने ही गोवंश खड़े हुए हैंं। इसके दूसरी ओर भी काफी संख्या में गोवंश मौजूद हैं। पशुपालक भी इन्हीं के साथ मैंदान में खड़े कुछ वाहन चालकों से बातचीत कर उनको चलने के लिए तैयार करने का जतन करने में लगे हुए नजर आए। मेले से दो नागौरी बैलों की खरीद करने वाले मंसाराम ने बताया कि वह पिछले चार दिनों से लगातार प्रयास कर रहे हैं कि वाहन चालक तैयार हो जाएं, लेकिन यह डर रहे कि रास्तें में गाड़ी पकड़ गई तो फिर क्या होगा। इसी तरह से पशुपालक टीकाराम भी परेशान हालत में मिले। उन्होंने बताया कि वाहन चालकों के डर को देखते हुए इनको लेकर मेला प्रशासन के कार्यालय में भी ले गया। अधिकारियों ने भी समझाया, लेकिन रास्ते में पकड़े जाने का डर दूर नहीं हो पा रहा।
इनका कहना है…
वाहन चालकों को समझाने के साथ ही पशुपालकों को भी आश्वस्त किया गया है कि उनके पास वैध दस्तावेज रहेंगे तो फिर डरने की कोई बात नहीं है। रास्तें में मुश्किल आने पर वह अधिकारियों से बात भी कर सकते हैं। इनको जिम्मेदार अधिकारियों के नंबर भी दिए जा रहे हैं। उम्मीद है कि बचे हुए बैल भी जल्द ही अपने गंतव्यों तक पहुंच जाएंगे।
डॉ. महेश कुमार मीणा, मेला प्रभारी व संयुक्त निदेशक पशुपालन नागौर