नागौर. पिछले पांच से दस सालों के अंतराल में राज्य सरकारों का चेहरा तो बदला, लेकिन रोडवेज बसों की सूरत नहीं बदली। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के जिले के आगार में ८० प्रतिशत से ज्यादा बसें कंडम होने के बाद भी यात्रियों को उनके गंतव्यों तक पहुंचाने के काम में लगी हुई हैं। इन बसों के कंडम होने की वजह से मुश्किल यात्रियों को मुश्किल तो हो ही रही है, साथ ही रोडवेज की इमेज भी प्रभावित हो रही है। बसों के बेहतर स्थिति में नहीं होने की वजह से आगार का राजस्व भी प्रभावित होने लगा है। हालांकि वर्ष २०२४ में आगार को तीन नई बसें जरूर मिली, लेकिन यह संख्या ऊंट के मुंह में जीरे की तरह रही।
कंडम बसों की बढ़ती संख्या ने रोडवेज की हालत बिगाडकऱ रख दी है। राह चलते कई बार बसों के खराब हो जाने की समस्याओं के बीच येन-प्रकरेण किसी तरह इनका बमुश्किल संचालन कराया जा जा रहा है। इसके चलते अक्सर यात्रियों के गुस्से का शिकार भी इन चालकों व परिचालकों को ही बनना पड़ रहा है। बताते हैं कि रोडवेज अक्सर सफर के दौरान बीच राह ही जहां-तहां हांफ जाती हैं। इस वजह से यात्रियों के साथ ही संचालन में लगे चालकों एवं परिचालकों को भी मुश्किल होती है, लेकिन यह विभागी अनुशासन के समक्ष मौन रह जाते हैं। इस वजह से भी यात्रियों में न केवल रोडवेज की इमेज खराब होती है, बल्कि वह इन पर सफर करने से हिचकने लगे हैं।
पचास प्रतिशत से ज्यादा बीमार
विभागीय जानकारों के अनुसार केन्द्रीय बस स्टैंड से संचालित रोडवेज की अस्सी प्रतिशत से ज्यादा बसें कंडम श्रेणी में पहुंच चुकी हैं। अब विभाग की ओर से इन बसों को प्रावधान के अनुसार बंद कर दिए जाने की स्थिति में यात्रियों के लिए बसों का टोटा पडऩे के साथ ही रोजाना का आ रहा राजस्व भी खतरे में आ जाएगा। इसके चलते इनका संचालन कराना आगार प्रबंधन की विवशता हो चुकी है।
बसों की यह हालत कर रही परेशान
रोडवेज के जानकारों के अनुसार आगार में संचालित होने वाली बसों में 25 बसें दस लाख किलोमीटर से भी ज्यादा चल चुकी है। बताते हैं कि वर्ष 2017 मॉडल की 10 बसें नौ लाख किलोमीटर से ज्यादा की दूरियां तय कर चुकी हैं। वर्ष 2020 मॉडल की 18 बसें भी अब तक पांच लाख किलोमीटर से ज्यादा का सफर कर चुकी हैं। प्रावधानों के अनुसार दस लाख किलोमीटर का सफर कर चुकी बसों को किसी भी सूरत में नहीं चलाया जा सकता है। इनको पूरी तरह से कंडम मान लिया जाता है। इसी तरह से नौ लाख किलोमीटर का सफर कर चुकी बसें भी कंडम होने की कगार पर पहुंच की हैं। निगम की शेष बसों ने हालांकि अभी तक लगभग पांच से साढ़े पांच लाख किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी हैं। इससे बसों की स्थिति का अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है।
अनुबंधित बसें भी हांफी, फिर भी संचालन
आगार में संचालित अनुबंधित बसों की हालत भी खराब है। विभागीय जानकारों के अनुसार यह बसें वर्ष 2017 मॉडल की बताई जाती हैं। पुराना मॉडल होने के साथ ही यह भी निर्धारित दूरी के तय प्रावधानों के अनुसार सफर चुकी हैं। इसके बाद भी यह बसें सडक़ों पर जबरन दौड़ाई जा रही हैं। हालांकि यह बात अलग है कि इन बसों के खराब संचालन की बातें कई बार सामने आने के बाद भी नई बसों का विकल्प नहीं होने के चलते इन बसों का भी संचालन कराना भी निगम की मजबूरी बन गई है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि प्रावधानों के अनुसार काम करने लगे तो फिर आगार में बमुश्किल दो से तीन बसों का ही संचालन हो पाएगा।
इनका कहना है…
बेड़े में संचालित सभी बसों की पूरी रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय भेजी गई है। इनमें बसों की पूरी स्थिति स्पष्ट कर दी गई है। पिछले साल रोडवेज के बेड़े में तीन नई बसें शामिल हुई हैं। इसी वर्ष और भी बसों के आने उम्मीद है। इससे स्थिति में काफी सुधार आ जाएगा।
राजेश चौधरी, मुख्य प्रबंधक राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम नागौर