नागौर. दीपोत्सव को अब महज एक दिन का समय शेष रह गया है, और पटाखों की दुकानों से सज गए हैं। पटाखों की दुकान खुलने के बीच सुरक्षा के सारे नियम बिखरते नजर आ रहे हैं। निर्धारित मानकों को दरकिनार कर शहर के बीचोंबीच पटाखों की दुकानें खुल गई हैं। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि अब स्थिति कभी भी अनहोनी जैसी बन चुकी है। स्थिति यह हो गई है इस बार कि पटाखा दुकानें किसे खोलने की अनुमति है और किन नियमों के तहत, इस साल यह सारा सिस्टम ध्वस्त हो गया है। बाजार में कपड़े धोने की दुकानों से लेकर किराना व्यापारियों तक ने टेबल लगाकर पटाखे बेचने शुरू कर दिए हैं। यानी जिस पर मन आया, उसने दुकान खोल ली।
एसपी बंगले से कुछ कदम दूर ही बारूद का बाजार
जिला मुख्यालय पर स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एसपी बंगले से महज चंद कदम की दूरी पर ही पटाखों की दुकानें सजी हैं। नया दरवाजा मार्ग से लेकर गांधी चौक तक पटाखा बाजार फैल चुका है। इतना ही नहीं, किले की ढाल से लेकर मुख्य बाजार तक जहां नजर डालो, वहां बारूद के ढेर पर बैठा शहर नजर आता है। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि किसी एक भी दुकान पर सुरक्षा प्रावधानों की पालना नहीं की जा रही। लाइसेंस वाली दुकानों की सूची से मेल खाने पर आधी से ज्यादा दुकानें बिना वैध अनुमति के चल रही हैं।
कंसारा मोहल्ला में घरों के आगे ही दुकानें
कंसारा मोहल्ला में तो कुछ लोगों ने अपने ही घर के बाहर पटाखों की दुकानें सजा ली हैं। ऐसे में अगर किसी ने असावधानीवश चिंगारी उड़ा दी, तो पूरा इलाका हादसे की जद में आ सकता है। इससे स्थिति का अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा कसता है।
रिपोर्ट में मिलीभगत के आरोप
पटाखा दुकानों के लिए लाइसेंस एडीएम की ओर से जारी किए जाते हैं, लेकिन उससे पहले संबंधित क्षेत्र का पटवारी और पुलिस अधिकारी रिपोर्ट तैयार करते हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या इन अधिकारियों ने वाकई मौके पर जाकर निरीक्षण किया या फिर मिलीभगत से खानापूर्ति कर दी गई। लोगों का कहना है कि रिपोर्ट ओके होने का मतलब यह नहीं कि स्थिति सुरक्षित है, बल्कि कई जगह रिपोर्ट से पहले ही दुकानें सज चुकी थीं।
नियमों में स्पष्ट है, खुला क्षेत्र और आबादी से दूर दुकान जरूरी
विस्फोटक अधिनियम व स्थानीय दिशा-निर्देशों के अनुसार पटाखों की दुकानें आबादी से दूर खुले क्षेत्र में लगनी चाहिएं, ताकि किसी भी अनहोनी की आशंका को टाला जा सके। जिम्मेदारों की कार्यशैली की स्थिति यह हो गई है कि इस बार न तो दूरी का पालन हुआ, न ही सुरक्षा की कोई गारंटी दिखी। शहरवासी भी मानते हैं कि प्रशासन ने इस बार सुरक्षा को मजाक बना दिया है।
प्रशासन मौन, खतरा बढ़ा
जिला एवं पुलिस दोनों ही स्तर पर इस स्थिति को लेकर फिलहाल कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है। खुले में पटाखा बेचने वालों पर कार्रवाई तो दूर, निरीक्षण तक नहीं हुआ। ऐसे में सवाल यह है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?
पटाखा दुकान खोलने में यह कायदे टूटे
लाइसेंस से पहले दो रिपोर्ट जरूरी है। इसमें पटवारी और थाना प्रभारी की रिपोर्ट शामिल रहती है। दुकानें खुली जगह पर और आबादी से कम से कम 50 मीटर दूर होनी चाहिएं। इसी तरह सुरक्षा उपाय में अग्निशामक यंत्र, बालू से भरी बाल्टी, जल स्रोत पास में होना अनिवार्य है,लेकिन दुकानें नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए चल रहीं हैं
इनका कहना है…
प्रावधानों की पालना नहीं करने वालों के खिलाफ कार्यवाही किए जाने के लिए निर्देश दिए जा चुके हैं। जांच कर समुचित कार्यवाही की जाएगी।
चंपालाल जीनगर, एडीएम