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Nagaur patrika…जयमल जैन पौषधशाला में चल रहे प्रवचन में समझाई आहार विवेक की महत्ता…VIDEO

नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में चातुर्मास में चल रहे प्रवचन में जैन समणी सुयशनिधि ने आहार विवेक की महत्ता समझाई। उन्होंने कहा कि मानव जीवन की शुद्धि ही साधना का सबसे सशक्त आधार आहार विवेक है। आहार केवल शरीर का पालन नहीं करता, बल्कि विचारों, संस्कारों और आत्मिक शांति को भी प्रभावित करता है। उन्होंने […]

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नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में चातुर्मास में चल रहे प्रवचन में जैन समणी सुयशनिधि ने आहार विवेक की महत्ता समझाई। उन्होंने कहा कि मानव जीवन की शुद्धि ही साधना का सबसे सशक्त आधार आहार विवेक है। आहार केवल शरीर का पालन नहीं करता, बल्कि विचारों, संस्कारों और आत्मिक शांति को भी प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि जैसा आहार होता है, वैसा ही विचार बनता है। भोजन करते समय मनुष्य तीन अवस्थाओं से गुजरता है। इनमें पहला खाकर खोना, जिसमें अधिक भोजन शरीर में अवशिष्ट होकर रोग का कारण बनता है। दूसरा है खाकर बोना, यानि की जिसमें भोजन हमारे भीतर संस्कारों के बीज बोता है। सात्त्विक भोजन से शांति और संयम जन्म लेते हैं।जबकि तामसिक आहार से क्रोध और अशांति बढ़ती है। तीसरी अवस्था है खाकर संजोना। इसमें मर्यादित और शुद्ध आहार से शरीर, मन और आत्मा को स्थिरता मिलती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब अनियमित खानपान, फास्ट फूड और नशे की प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं, तब आहार विवेक की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। उन्होंने भोजन को आत्मिक साधना का माध्यम समझने पर बल दिया।
रजत पदक से किया सम्मानित
प्रवचन के दौरान प्रश्नोत्तरी सत्र में सही उत्तर देने वालों को सम्मानित किया गया। संघ मंत्री हरकचंद ललवाणी ने बताया कि सही उत्तर देने वालों में चंचल देवी ललवाणी व सम्यक भूरट को रजत मेडल प्रदान कर सम्मानित किया गया। बोनस प्रश्नों के उत्तर देने वालों में हेमलता चौरडिय़ा व सरोज चौरडिय़ा को भी सम्मानित किया गया। प्रभावना का लाभ भी अशोक कुमार ललवाणी परिवार ने लिया। इस दौरान नेहा, पंकज जैन ने समणी वृंद से तीन उपवासों का प्रत्याख्यान लिया। संचालन संजय पींचा ने किया। इस दौरान महावीरचंद भूरट, प्रकाशचंद बोहरा, किशोरचंद ललवाणी, नरेंद्र चौरडिय़ा, धनराज सुराणा, जितेन्द्र चौरडिय़ा, दीपक सैनी एवं मूलचंद ललवाणी आदि मौजूद थे।