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Nagaur patrika…परिग्रह परिमाण व्रत और आत्मशुद्धि का महत्व समझाया…VIDEO

नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में चल रहे प्रवचन में जैन समणी सुयशनिधि ने परिग्रह परिमाण व्रत के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि परिग्रह की सीमांकन से वासनाएँ, तृष्णाएँ और लोभ क्षीण होते है। जिससे आत्मा में दिव्यता प्रकट होती है। शुद्ध विचार और पूर्ण अध्ययन ही आत्मशुद्धि की दिशा में पहला कदम है। […]

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नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में चल रहे प्रवचन में जैन समणी सुयशनिधि ने परिग्रह परिमाण व्रत के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि परिग्रह की सीमांकन से वासनाएँ, तृष्णाएँ और लोभ क्षीण होते है। जिससे आत्मा में दिव्यता प्रकट होती है। शुद्ध विचार और पूर्ण अध्ययन ही आत्मशुद्धि की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा कि आज के उपभोक्तावादी युग में यह व्रत संतोष, सादगी और मर्यादा का जीवन जीने की प्रेरणा देने के साथ ही समाज में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करता है। उन्होंने कहा कि धर्म-स्नेह और करुणा से तिर्यंच प्राणी भी सद्गति प्राप्त कर सकते हैं, जो जैन धर्म की वैश्विक प्रासंगिकता को सिद्ध करता है। पच्चीस दिन तक लगातार साधना करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को ऑल इंडिया जे.पी.पी जैन अणुप्पेहा ध्यान योग एकेडमी व चोरडिया परिवार ने सम्मानित किया। प्रश्नोत्तरी में सही उत्तर देने वाले रेखा कमल सुराणा और ज्ञानचंद नाहटा को रजत पदक प्रदान किया गया। संचालन संजय पींचा ने किया। इस दौरान महावीरचंद भूरट, किशोर चंद ललवाणी, नरपतचंद ललवाणी, धनराज सुराणा, सुरेश जैन, प्रीतम ललवाणी आदि मौजूद थे।