नागौर. जिला मुख्यालय के पंडित जेएलएन राजकीय जिला अस्पताल में लाखों रुपए से लगाया गया सेंट्रल फायर फाइटिंग सिस्टम पिछले काफी समय से नकारा पड़ा है। यदि अस्पताल में कहीं आग लग जाए तो बड़ा हादसा हो सकता है, क्योंकि फायर फाइटिंग सिस्टम की वितरण प्रणाली में लगे पाइप, नोजल, वाल्व और सिलेंडर आदि कई जगह से गायब हो चुके हैं। अस्पताल में डिटेक्शन सिस्टम भी नहीं लगा है, जबकि फिक्स्ड फायर फाइटिंग सिस्टम में डिटेक्शन सिस्टम रक्षा की पहली आपश्यकता होती है। इसमें हीट सेंसर, स्मोक डिटेक्टर और अलार्म आदि शामिल हैं, जो आग या धुएं की उपस्थिति का पता लगाकर सायरन बजाते हैं। वहीं दूसरी तरफ निजी अस्पतालों को लाइसेंस जारी करने से पहले पूरे अस्पताल में फायर फाइटिंग सिस्टम, स्मोक डिटक्टर, फायर बॉल आदि लगवाए जाते हैं, लेकिन जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल में यह सब नहीं है।
हादसों से सबक नहीं
सरकारी अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं आम है। गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। इसके साथ ही आग लगने की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं। कई बार सिस्टम मरीजों की जान जाने के बाद जागता है।
केस – 1
नवम्बर 2024 में झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में नवजात गहन चिकित्सा इकाई में आग लगने से 10 बच्चों की मौत हो गई थी। हादसे में 16 बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए थे, यह हादसा शॉर्ट सर्किट की वजह से हुआ था।
केस – 2
मई 2024 को दिल्ली के चाइल्ड हॉस्पिटल में आग लगने से छह नवजात की मौत हो गई थी। हादसे के बाद पुलिस ने अस्पताल के मालिक को गिरफ्तार कर लिया।
चार साल पहले हुई थी मॉक ड्रील
जिला मुख्यालय के जेएलएन अस्पताल में करीब चार साल पहले चक्रवाती तूफान तौकते की आशंका को देखते हुए आग लगने की घटना को लेकर मॉक ड्रिल हुई थी। हालांकि उस समय कई व्यवस्थाओं की पोल खुली थी, जिसको लेकर तत्कालीन जिला कलक्टर ने सुधार के निर्देश दिए थे, लेकिन कुछ दिन बाद अधिकारी भूल गए।
कहीं पाइप गायब तो कहीं वाल्व तोड़ ले गए
जेएलएन अस्तपाल में लाखों रुपए की लागत से लगाए गए सेंट्रल फायर फाइटिंग सिस्टम में लगे रबड़ व कपड़े के पाइप गायब हो चुके हैं। पाइप रखने के बॉक्स में पाइप की जगह लोगों पानी की खाली बोतलें भर दी हैं। कई जगह पानी खोलने के लिए लगाए गए वाल्व तक चोरी हो गए हैं।
हमारी पहली प्राथमिकता
जेएलएन अस्पताल में फायर फाइटिंग सिस्टम को ठीक कराने की प्रक्रिया चल रही है। बजट के लिए हमने मुख्यालय को लिखा है, साथ ही एनओसी के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा है। यह हमारी पहली प्राथमिकता है, इसलिए जल्द ही फायर फाइटिंग सिस्टम ठीक करवा देंगे।
– डॉ. आरके अग्रवाल, पीएमओ, जेएलएन अस्पताल, नागौर