मुकेश सहारिया, नीमच. 25-26 साल का दुबला-पतला युवक। वो नहीं देखता कि दिन है या रात। फोन पर सूचना मिलते ही कैसे भी हो मौके पर पहुंच, गौवंश की सेवा करना मुख्य लक्ष्य रहता है। उन्होंने अपना जीवन गौवंश की सेवा को समर्पित कर दिया है। सीमित संसाधनों में भी जटिल बीमारियों का इलाज करने में महारत हासिल कर ली है। इस कार्य में उनके अन्य साथी भी सहयोग कर रहे हैं।
संसाधनों के अभाव में पेश आती है कठिनाई
यहां हम जिक्र कर रहे हैं गौसेवक और गौभक्त पार्थ जोशी की। बकौल पार्थ शहर में स्वच्छंद विचरण करने वाले गौवंश के साथ आए दिन कोई न कोई घटना होती ही रहती है। 25 नवंबर 2022 को किलेश्वर महादेव मंदिर के समीप नाले में एक गाय फंस गई थी। काफी तड़प रही थी। सूचना पर मौके पर पहुंचे और गाय को बाहर निकाला। इसी प्रकार खारी कुआ क्षेत्र में दलदल में गाय फंस गई थी। तीन दिनों तक वहां फंसे रहने के बाद जब हमें सूचना मिली तो मौके पर पहुंचे थे। नगरपालिका के सहयोग से दलदल में फंसी गाय को काफी मशक्कत के बाद बाहर निकाला था। एक दिन और यदि गाय वहां फंसी रहती तो उसकी जान भी जा सकती थी। 10 दिसंबर 22 को विकास नगर 14/4 में एक सांड के मुंह में रस गुल्ले का टीन का डब्बा फंस गया था। मुंह से खून बह रहा था। एक स्थान पर रुक ही नहीं रखा था। साथियों की मदद से सांड को रस्से की मदद से बिजली के खंभे से बांधा। इसके बाद कहीं जाकर मुंह में से डब्बा निकाल पाए थे। सांड के मुंह में गहरी चोट लग गई थी। उसका भी उपचार किया। चिंता की बात यह है कि गौवंश को तड़पता तो सब देखते हैं। जब मदद के लिए टीम पहुंचती है तब तमाशा देखने वालों की भीड़ भी जुट जाती है, लेकिन पीडि़त की मदद के लिए कोई आगे नहीं आता। राजस्थान में जब लम्पी वायरस फैला था, तब जहां से भी संदिग्ध गौवंश के बीमार होने की सूचना मिली थी तुरंत मौके पर पहुंचते थे। तब सीमित संसाधनों के बीच कई गौवंश की जान बचाई थी। इजाज के लिए गौवंश को रखने की उचित व्यवस्था नहीं थी। इससे कुछ परेशानी अवश्य आई थी।
गौवंश की सेवा में दुर्गाशंकर ने उपलब्ध कराया भूखंड
बीमार या विषम परिस्थितियों में फंसे गौवंश की सेवा के लिए पार्थ जोशी ने अपना मोबाइल नंबर सार्वजनिक कर रखा है। आम जनता से लेकर पुलिस प्रशासन तक के फोन उनके पास आते हैं। बस एक घंटे पर कुछ ही मिनट में वे मौके पर पहुंच जाते हैं। इस काम में उनकी टीम के सदस्य भी पूरा सहयोग करते हैं। मौके पर ही गौवंश का प्राथमिक उपचार किया जाता है। उपचार का लाभ दिखाई देने पर मवेशी को मौके पर ही छोड़ देते हैं। नहीं तो उसे पीजी कॉलेज के पीछे निजी प्लाट पर बनाई उपचार शाला में ले जाते हैं। यह खाली प्लाट दुर्गाशंकर धनगर अंकल का है। 1200 वर्ग फीट का यह भूखंड उन्होंने गौसेवा के लिए उपलब्ध करा रखा है। शहर में कहीं एक्सीडेंट में गौवंश घायल होता है तो उसे लाचार स्थिति में यहीं लेकर आते हैं। गौवंश की सेवा में लोगों का भी सहयोग लेते हैं पार्थ। कभी दवा-इंजेक्शन मंगवा लेते हैं तो कभी चारा आदि। समय आने पर नील गाय, श्वान का भी वे उपचार करते हैं।
निम्न आय वर्ग से आते हैं गऊ सेवा दल के सदस्य
पिछले माह ही 26 अप्रेल 23 को उनकी टीम ने पिछले ६ माह से ट्यूमर से पीडि़त श्वान का उपचार कराया। इस कार्य में पुश चिकित्सालय के चिकित्सकों का भी सहयोग मिला था। विषम परिस्थितियों और कठिनाइयों का सामना करते हुए भी गौसेवा समिति नीमच गऊ सेवा दल के सदस्य पार्थ जोशी पूरी तनमयता से गौवंश की सेवा को समर्पित हैं। उनकी नि:स्वार्थ सेवा भावना को देखते हुए दानदाताओं ने प्रसन्न होकर एक वेन गिफ्ट करी थी, जिसे उन्होंने एम्बुलेंस बना लिया है। इसकी मदद से गौवंश का उपचार शाला तक लाने-ले जाने का कार्य करते हैं। पार्थ अपने साथियों दुर्गाशंकर धनगर, मितेश अहीर, सांवरा सुराह, जोजो ठाकुर, कमलेश धनगर, दीपक सुराह, बबलु ग्वाला, अम, ब्रजेश माली, अंकित अहीर, मोनू, रोहन घेंघट, निक्की ग्वाला, काना हिनवार, समीर, शुभम सुराह, विशाल ग्वाला, कमल मारू, चेतन, जीतू, चिराग के साथ पिछले ६ साल से गौवंश की सेवा में जुटे हैं। गौवंश की सेवा में लगे यह युवा निम्न आयवर्ग से आते हैं, लेकिन कभी पीडि़त गौवंश की सेवा के लिए मना नहीं किया।