भीलवाड़ा। राज्य सरकार ने शाहपुरा जिले के आसोप में काले हिरण के संरक्षण के लिए आसोप वन खंड को आखेट निषेध एवं कन्जरवेशन रिजर्व क्षेत्र के रूप में विकसित करने की बजट घोषणा की। यहां हालिया गणना में काले हिरण का कुनबा बढ़ने से वन विभाग व क्षेत्रवासी उत्साहित हैं। यहां अभी 150 से अधिक काले हिरण हैं।
आसोप वन क्षेत्र भीलवाड़ा से 45 किमी दूर शाहपुरा जिले के कोटड़ी उपखंड में दांतडा के निकट है। यह रियासतकाल से बीड़ थी। इसका उपयोग चरागाह के रूप में किया जाता था। वर्ष 1979 से रक्षित वनखंड आसोप का कुल क्षेत्रफल 118.4513 हैक्टेयर है।
इसी साल भेजा प्रस्ताव
वन उप संरक्षक गौरव गर्ग ने बताया कि वनखंड आसोप पार्ट अ कृष्ण मृग (ब्लैक बग) यानी काले हिरण के आश्रय स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 5 जनवरी 2024 को प्रस्ताव सरकार को भेजा था। इसमें वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 36 (ए) के तहत आसोप वनखंड को आसोपकन्जरवेशन रिजर्व घोषित करने की सिफारिश की थी। प्रस्ताव को मंजूरी से वन खंड के विकास की राह खुल गई।
काला हिरण शाकाहारी होता है
गर्ग ने बताया कि काला हिरण शाकाहारी होता है। यहां काले हिरण के साथ सामान्य हिरण, नीलगाय, गीदड़, जंगली बिल्ली, नेवला, फाख्ता, खरगोश, तीतर, बटेर एवं नेवला बहुतायत में है। काले हिरण दिन में झुंड में रहते हैं। गर्मी में पारा 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। सर्दी में 40 डिग्री तक रहता हैं। यहां दिसम्बर से फरवरी तक सर्दी व मार्च के अन्तिम सप्ताह से जून तक गर्मी रहती हैं। घास की मुख्य प्रजाति भरूट, लापला एवं धामण घास इत्यादि है।
इसलिए उचित है क्षेत्र
वनक्षेत्र में खेजड़ी, कुमटा, कैर एवं देशी बबूल मुख्य है। यहां विभिन्न झाडीनुमा वनस्पति है। बीड़ में लगभग 60 प्रतिशत भाग पर प्रोसोपिसज्यूलीफ्लोरा की झाड़ियां है। यह वन क्षेत्र भीलवाडा से नजदीक वन्यजीवों के विचरण व घना घास बीड़ होने से वन्यजीवों के संरक्षण एवं काला हिरण के मुफीद है।