प्रतापगढ़. गत वर्षों से किसानों ने उत्पादन अधिक लेने के लिए अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशक का प्रयोग किया। नतीजा यह हो गया कि खेतों की उर्वरा शक्ति खत्म होने लगी। जिससे खाद्यान्न की गुणवत्ता कम होने लगी। इसके साथ ही उत्पादन भी कम होने लगा है। ऐसे में किसानों को अब परम्परागत खेती की ओर लौटना पड़ रहा है। जहां जैविक खेती की तरफ रूझान बढ़ा है। वहीं परम्परागत फसलों की बुवाई भी करने लगे है।
कांठल में अंधाधुंध कीटनाशक और रासायनिक खाद के प्रयोग से जहां भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है। वहींं जो खाद्यान्न पैदा हो रहा है, उवह भी दूषित है। जिससे कई गम्भीर बीमारियां भी हो रही है। जिले में असंतुलित उर्वरक के प्रयोग से मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा का अनुपात बिगड़ता जा रहा है। इसका प्रमुख कारण गोबर व जैविक खाद नहीं डाली जा रही है। जिसके फलस्वरूप फसलों के लिए आवश्यक तत्वों की कमी आने लगी है।
जिले में किसान केवल मात्र मुख्य तत्व एनपीके ही डाल रहे है। लेकिन सूक्ष्म तत्वों की भरपाई नहीं हो पा रही हैै। ऐसे में खेतों में पोषक तत्वों की कमी आती जा रही है। ऐसे में अब किसान भी जागरूक होने लगे है। गत वर्षों से खेतों में जैविक खाद, गोबर की खाद आदि का उपयोग बढ़ गया है।
ङ्क्षजक और लोहा की कमी
प्रतापगढ़ जिले में प्रमुख सूक्ष्म तत्व ङ्क्षजक और लोहा की कमी अधिक पाई गई है। जिसमें पाया गया कि ङ्क्षजक और आयरन की कमी है। यहां मिट्टी में 18 से लेकर 36 प्रतिशत ही ङ्क्षजक और लोहा की मात्रा पाई गई है। जो फसलों के लिए आवश्यक है।
जिले में यहां इन तत्वों की कमी
तहसील नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश
प्रतापगढ़ कम कम/मध्यम मध्यम
अरनोद कम कम/मध्यम मध्यम
छोटीसादड़ी कम कम/मध्यम मध्यम/उच्च
पीपलखूंट कम मध्यम मध्यम
धरियावद कम/मध्यम मध्यम/उच्च मध्यम/उच्च
फसलों में यह तत्व होते हंै आवश्यक
फसल के लिए 16 प्रमुख तत्वों की आवश्यकता होती है। जिसमें तीन तत्व हवा, पानी से ग्रहण करती है। जबकि 13 पोषक तत्व भूमि से लेती है। आवश्यक तत्वों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम प्रमुख है। इसके अलावा कैल्शियम, सल्फर और मैंगनीज तत्व द्वितीय पोषक तत्व है। जबकि जस्ता, कॉपर, बोरोन, मोलिब्डेनम, क्लोरीन, सोडियम, कोबाल्ट, सिलिकॉन सूक्ष्म तत्व होते है।
किसान होने लगे जागरुक
जिले में गत वर्षों में खेतों की उर्वरा शक्ति में कमी आई है। फसलों की उत्पादन क्षमता भी कम होती जा रही है। किसानों को हम लगातार यही समझाइश कर रहे है कि संतुलित मात्रा में ही उर्वरक और कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए। वहीं खेतों में गोबर की खाद का उपयोग अधिक करना चाहिए। अब किसानों में भी जागरूकता आने लगी है। किसान जैविक खेती की ओर रुझान बढ़ गया है।
डॉ. योगेश कनोजिया, प्रभारी, केवीके, प्रतापगढ़