रायगढ़. कांग्रेस की शहर सरकार के खिलाफ भाजपा आक्रामक मूड में आ गई है। मंगलवार को भाजपा पार्षद दल अपर कलेक्टर से मुलाकात करते हुए उन्हें नगर निगम में अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने का पत्र सौंपा। इस पत्र में भाजपा के २१ पार्षदों के हस्ताक्षर थे। वहीं इस पत्र के माध्यम से महापौर पर यह आरोप लगाया कि वे विकास कार्यों में पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाते हैं। साथ ही वे शहर में मूलभूत सुविधा का विस्तार करने में असफल साबित हुईं हैं। खास बात यह है रायगढ़ नगर निगम में यह पहली महापौर हैं जिनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने का पत्र कलेक्टर को सौंपा गया है।
सात बिन्दुओं पर कलेक्टर के नाम सौंपे गए पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि
महापौर एक विशिष्ट दल से संबंधित है। वहीं बहुमत होने से उनके द्वारा अन्य पार्षदों के साथ पक्षपातपूर्ण कार्य किया जा रहा है। इससे विपक्षी दल के वार्डों का कार्य निरंतर प्रभावित हो रहा है। वहीं यह आरोप लगाया कि साढ़े तीन साल अधिक समय से शहर के वार्डो में आज पर्यंत तक मूलभूत सुविधाओं का अभाव हैं, जिससे वार्ड के प्रगति एवं विकास कार्य बाधित हैं, स्वच्छता एवं शुद्ध पेयजल देने में भी यह सरकार विफल साबित हुई है। नगर में चहुं ओर गंदगी व्याप्त है। बरसात के समय भारी बारिश के चलते सभी नाले-नालियों का पानी प्रमुख सड़कों में बहता है। इसको लेकर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से गंभीर बीमारियों जैसे डेंगू और मलेरिया से शहर के लोग प्रभावित हो रहे हैं। इसी वजह से पिछले वर्ष डेंगू जैसे गंभीर बीमारी के कारण से कई परिवारों ने आपने सदस्य खो दिया है। पत्र के माध्यम से यह कहा कि नगर निगम की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, जो बजाय सुधरने के दिनों दिन बिगड़ती जा रही है। इससे निगम के कर्मचारियों को प्रतिमाह समय पर वेतन भी प्राप्त नहीं हो रहा है। नगरपालिक निगम का स्थापना व्यय 65 प्रतिशत होना चाहिए, जो बढ़कर उससे अधिक पहुंच गया है। महापौर के द्वारा नगरपालिक निगम की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कोई सार्थक पहल भी नहीं की जा रही है। इससे नगर निगम की तमाम व्यवस्थाएं लगातार प्रभावित हो रही है। महापौर के अदूरदर्शी निर्णयों से निगम से प्रतिदिन संचालित होने वाले जनहित से जुड़े कार्य, स्वच्छता, स्वास्थ्य, पेयजल आदि निरंतर प्रभावित हो रहे हैं। इसका प्रतिकूल प्रभाव शहर के लोगों पर पड़ रहा है।
मैनेज किए जा रहे टेंडर
भाजपा के द्वारा सौंपे गए पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि नगर निगम में हर विभाग में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। लोक कर्म विभाग में टेंडर मैनेज कर अपने चहेते ठेकेदारों को कार्य आवंटित किया जा रहा है। इसमें कमीशन लिए जाने का आरोप भी लगाया गया है। साथ ही मशीनरी, निविदा, दुकान आबंटन, बिजली सामग्री पेयजल सामग्री स्वच्छता सामग्री आदि सभी विभागों में खरीदी में कमिशन खोरी करते हुए निगम को अत्यधिक हानि पहुंचाए जाने का आरोप भी लगाया गया है।
यह भी लगाया गया आरोप
प्रत्येक वार्ड में स्थित नालियों एवं सड़कों की सफाई व्यवस्था को नजर अंदाज किया जा रहा है। जिससे नगर की सफाई व्यवस्था ध्वस्त है। नगर निगम के द्वारा यथोचित कर प्राप्त करने के बाद भी उक्त व्यवस्थाओं को दुरुस्त नहीं किया जा रहा है। इस संबंध में यह भी लगातार देखा जा रहा है कि महापौर के द्वारा सफाई व्यवस्था को लेकर नगर की स्वच्छता के संबंध में कोई समुचित योजना नहीं है, और इस दिशा पर कि कोई योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन किए जाने के लिए महापौर द्वारा कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।
वादे नहीं किए गए पूरे
उनका आरोप है कि 2019 के चुनाव के घोषणा पत्र में किए गए किसी भी वादे को पूरा करने में यह सरकार व महापौर विफल रहीं है। केंद्रपोषित योजनाएं अमृत मिशन (शहरी) के अंतर्गत आने वाले प्रधानमंत्री आवास, हर घर नल जल योजना, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाएं आज भी शहर सरकार की कार्यशैली की वजह से अटकी पड़ी है।