ऐसे ही हाल समीपस्थ ग्राम धमोत्तर के एकीकृत शासकीय माध्यमिक विद्यालय के है। रास्ता नहीं होने के मोरदा गांव के अधिकांश विद्यार्थी बरबोदना दाखिला करवा लिया हैं। प्राचार्य का कहना है कि मोरदा का रास्ता खराब होने के कारण 10 प्रतिशत बच्चे धमोत्तर नहीं आकर बरबोदना, सेमलिया जा रहे हैं। क्योंकि हर बारिश में तीन किमी तक का कच्चे रास्ते होकर विद्यार्थियों को आना जाना करना पड़ता है।
विद्यार्थियों को जाने में डर लगता
धमोत्तर के ही शासकीय हाईस्कूल की स्थिति ऐसी है कि अधिक बारिश में पूरा परिसर तरणताल बन जाता है। स्कूल परिसर में पानी ही पानी होने से विद्यार्थियों को जाने में डर लगता है। ग्राम धमोत्तर में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के पालक सुरेश धाकड़, लक्ष्मण धाकड़, जालमसिंह, कमल गुर्जर ने बताया कि स्कूल पहुंचना बारिश मुश्किल हो जाता है। ध्यान देना चाहिए, स्कूल पहुंचते-पहुंचते बच्चों के कपड़े तक खराब हो जाते हैं, बच्चे गिरते पड़ते स्कूल पहुंचते हैं। रास्ता सुधरना चाहिए।
160 से अधिक बच्चे परेशान
धमोत्तर के एकीकृत शासकीय माध्यमिक विद्यालय में 1 से 8वीं तक के करीब 100 बजे अध्ययनरत है। इसी प्रकार 9वीं व 10वीं में 50-60 बच्चे पढ़ाई करने के लिए स्कूल पहुंचते हैं, यहां धमोत्तर और मोरदा के बच्चे अध्ययन करते हैं। इसके साथ इस खराब रास्ते पर आंगनवाड़ी केंद्र भी संचालित होता है।
दिशा समिति की बैठक में उठा मामला…
सांसद प्रतिनिधि भारती पाटीदार ने इस मामले को दिशा समिति की बैठक में उठाते हुए कहा कि ऐसे में विद्यार्थी कैसे अध्ययन के लिए विद्यालय पहुंचेंगे। रास्ता इतना खराब है कि एक से डेढ़ किमी तक पैदल और कीचड़़ से होकर स्कूल पहुंचना पड़ता है।
रास्ते खराब, बच्चे एडमिशन अन्य जगह करवा रहे
हाईस्कूल पहुंच मार्ग के कारण विद्यार्थियों के साथ शिक्षक परेशान है। बारिश के दौरान आना-जाना मुश्किल हो जाता है। मिट्टी चिकनी है विद्यार्थियों की ड्रेस खराब हो जाती है, ग्रामीण भी परेशान है। इसके अलावा तीन किमी मोरदा से धमोत्तर पहुंच मार्ग तो कभी बना ही नहीं है, इस कारण बच्चे एडमिशन भी बरबोदना करवाते हैं, मार्ग बनने से काफी सहुलियत होगी।
कमलेश कडेला, प्राचार्य, शासकीय हाईस्कूल, धमोत्तर