शहडोल. मोहर्रम पर्व को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर जगह-जगह ताजिया तैयार हो रहे हैं। नगर के बुढ़ार रोड स्थित ईदगाह में पिछले कई दशक से ताजिया बनते चले आ रहे हैं। यहां इस वर्ष भी मो. अब्दुल शाह व उनकी टीम ताजिया को अंतिम रूप देने में जुटी है। यहां तैयार हो रहे ताजिया में काबा शरीफ की झलक देखने मिलेगी। वहीं ईदगाह के ठीक सामने आसिफ खान व उनकी टीम ताजिया में इमाम हुसैन के रोजे की आकृति दी है। यहां हर वर्ष कुछ न कुछ नया करने का प्रयास किया जाता है। इस वर्ष पूरा ताजिया यूनिक गोल्डन कलर का बनाया जा रहा है। लगभग एक सप्ताह पहले से इसे तैयार करने पूरी टीम जुट गई थी। ताजिया बनकर तैयार होने के बाद शनिवार को नगर भ्रमण के लिए निकलेंगे।
पूर्वज तैयार करते थे
ईदगाह के समीप ताजिया तैयार कर रहे आसिफ खान ने बताया कि ताजिया बनाने की यह प्रथा पिछले कई पुश्तों से चली आ रही है। उनके दादा ताजिया बनाते थे वह भी उसमें शामिल रहते थे। अब वह अपनी टीम के साथ मोहर्रम के लगभग एक सप्ताह पहले से तैयारी में जुट जाते हैं। हर वर्ष कुछ न कुछ नया बनाने का प्रयास करते हैं।
इमामबाड़ों से उठेगी सवारी
मोहर्रम की 9वीं तारीख को कत्ल की रात कहा जाता है। देर रात नगर के इमामबाड़ों में ताजियों को स्थापित किया जाएगा। इसके बाद सवारी उठेगी। साथ ही लंगर व अन्य आयोजन होंगे। इसके बाद 10वीं तारीख यानी शनिवार को नगर में ताजिया जुलूस निकाला जाएगा। मोहर्रम की 10वीं तारीख को यौम-ए-आशुरा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को लोग हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मातम के रूप में मनाते हैं।
इनका कहना है
छोटे-छोटे थे तब से ताजिया बनाने में सहयोग करने लगे थे। लगभग 40 वर्ष से टीम के साथ मिलकर खुद ताजिया बना रहे हैं। इस वर्ष काबा शरीफ की तर्ज पर पूरा ताजिया तैयार कर रहे हैं।
मो. अब्दुल शाह, ईदगाह बुढ़ार रोड
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30 वर्ष से ज्यादा समय से ताजिया बना रहे हैं। इसके पूर्व हमारे पूर्वज ताजिया बनाते थे। इस वर्ष हमने कुछ अलग करने का प्रयास किया है। पूरा ताजिया यूनिक गोल्डन कलर का है।
आसिफ खान, बुढ़ार रोड