सीधी। ऋ षिकेश फाउंडेशन द्वारा जेनेरिक दवाओं के प्रति जागरूकता के लिए पिछले सात माह से मिशन रामबाण चलाया जा रहा है। मिशन रामबाण के अंतर्गत ऋषिकेश फाउंडेशन की बाल सेना मोगली पलटन द्वारा हर माह के पहले रविवार को कछुआ चाल साइकल रैली निकाली जाती है। ऋ षिकेश फाउंडेशन के प्रवक्ता सचिन पांडेय ने बताया, इस शृंखला में रविवार 3 नवंबर को ये सातवीं साइकल रैली निकाली गयी। रैली गांधी चौक सीधी से प्रारंभ हुई, फिर अस्पताल चौक, सम्राट चौक से कोतवाली रोड से गल्लामंडी होकर पुन: गांधी चौक पहुंचकर समाप्त हुई।
सचिन पांडेय ने कहा, आम तौर पर सभी दवाएं एक तरह का केमिकल सॉल्ट होती हैं। इन्हें शोध के बाद अलग-अलग बीमारियों के लिए बनाया जाता है। जेनेरिक दवा जिस सॉल्ट से बनी होती है, उसी के नाम से जानी जाती है। जैसे-दर्द और बुखार में काम आने वाले पैरासिटामोल सॉल्ट को कोई कंपनी इसी नाम से बेचे तो उसे जेनेरिक दवा कहेंगे। वहीं, जब इसे किसी ब्रांड जैसे क्रोसिन के नाम से बेचा जाता है तो यह उस कंपनी की ब्रांडेड दवा कहलाती है। चौंकाने वाली बात यह है कि सर्दी-खांसी, बुखार और बदन दर्द जैसी रोजमर्रा की तकलीफों के लिए जेनरिक दवा महज 10 पैसे से लेकर डेढ़ रुपए प्रति टैबलेट तक में उपलब्ध है। ब्रांडेड में यही दवा डेढ़ रुपए से लेकर 35 रुपए तक पहुंच जाती है।
इसलिए सस्ती होती हैं जेनेरिक दवाएं-
जेनरिक दवाईयां ब्रांडेड दवाओं की तुलना में सस्ती इसलिए होती हैं क्यूंकि जब कोई कंपनी एक नई दवा बनाती है तो इसके लिए रिसर्च डेवलपमेंट पर पर्याप्त लागत आती है। लेकिन जेनेरिक दवाएं पहले डेवलपर्स के पेटेंट की अवधि समाप्त होने के बाद उनके फार्मूलों और सॉल्ट का उपयोग करके विकसित की जाती है। इसलिए जेनरिक दवा सस्ती होती हैं। साथ ही जेनेरिक दवाएं बेंचने के लिए आकर्षक पैकिंग नहीं करनी पड़ती, इसलिए ये दवाईयां और भी सस्ती हैं। कछुआ चाल साइकल रैली में बड़ी संख्या में मोगली पलटन के बच्चे शामिल रहे।