रविन्द्र सिंह राठौड़
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बचपन में पत्थर से निशाना साधने वाले हाथों ने जब बंदूक संभाली तो ऐसा संयोग बैठा की कभी निशाना चुका ही नहीं। जी हां यह कहानी है सांवलोदा लाडख़ानी के लाल दीपेंद्र सिंह शेखावत की। शेखावत 50 मीटर राइफल पीपसाइट के 6 साल से लगातार भारत के विख्यात निशानेबाज है। पॉइंट टू टू ओपन साइट इवेंट में स्वर्ण पदक विजेता होने के साथ चैंपियन का खिताब भी अपने नाम किया है। 12 बोर (शॉर्ट गन) की ट्रैप ओर डब्बल ट्रैप खेलते हुए भी मैदान में कई बार नजर आते है।
14 लाइसेंसी शस्त्र रख सकते हैं दीपेंद्र
शेखावत ने 50 मीटर ओपन साइट राइफल प्रौन पॉइंट टू टू व थ्री पोजिशन इवेंट में छह साल में 13 पदक जीते हैं। इसमें राज्य व राष्ट्रीय स्तर की एकल स्पर्धा व टीम इवेंट के स्वर्ण पदक, रजत पदक व कांस्य पदक शामिल हैं। वर्ष 2016 से लगातार भारत के विख्यात निशानेबाज का खिताब अपने नाम करने एवं निशानेबाजी की इन उपलब्धियों के कारण ही दीपेंद्र सिंह को सीकर में उत्कृष्ट श्रेणी का शस्त्र लाइसेंस मिला। जिससे वो अपने निजी शस्त्रों में 14 लाइसेंसी शस्त्र रख सकते हैं। गौरतलब है कि इससे पहले देश आजाद होने के बाद सीकर से अब तक राव राजा कल्याण सिंह को ही 10 शस्त्र व 303 राइफल अपनी निजी सुरक्षा के लिए जारी हुए थे।
शेखावाटी क्षेत्र में रखी शूटिंग की नींव
बचपन में कर्नल नरेंद्र सिंह व पिता रघुवीर सिंह को शूटिंग करते देख मन में शूटिंग करने की ठानी। सेना में अधिकारी बनने का ख्वाब लेकर चले दीपेंद्र सिंह को निशानेबाजी में नाम और ख्याति मिली। दीपेंद्र ने अपनी निशानेबाजी की तैयारी के साथ शेखावाटी क्षेत्र से ओर निशानेबाज तराशने का विचार करते हुए अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज ओमप्रकाश चौधरी के साथ मिलकर सीकर में वर्ष 2015 में शूटिंग खेल की नींव रखी। इससे पहले शेखावाटी क्षेत्र के बहुत कम लोग निशानेबाजी खेल के बारे जानते थे।
दीपेंद्र ने तैयार किए सैकड़ों निशानेबाज
सीकर में वरिष्ठ निशानेबाज महावीर सिंह कांसली, गिरधर प्रतार सिंह खंडेला, ओमप्रकाश चौधरी एवं ओमप्रकाश निठारवाल वो चेहरे है, जो किसी परिचय के मोहताज नहीं। लेकिन सीकर में शेखावाटी शूटिंग रैंज खुलने के बाद से शेखावाटी के हर जन मानस के बीच शूटिंग एक जाना पहचाना नाम हो चुका हैं। दीपेंद्र सिंह ने रैंज में अपने साथ शेखावाटी क्षेत्र के सैकड़ों युवाओं को निशानेबाज के रूप में तैयार किया। जिनमें हेमंत भींचर, धर्मेंद्र राजावत, कविता चौधरी अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज हैं। इसके अलावा पिस्टल व राइफल में 25 निशानेबाज अंतरराष्ट्रीय ट्रायल क्वालिफाई कर चुके हैं और 75 राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। जिनमें 13 राष्ट्रीय निशानेबाजों को विभिन्न सरकारी विभागों में सीधी नौकरी मिली हैं।
आग्नेयास्त्र श्रेणी के बाद शूटिंग महंगा खेल
दीपेंद्र सिंह ने बताया कि आग्नेयास्त्र श्रेत्री में आने के बाद निशानेबाजी थोड़ा महंगा खेल हो जाता है। जिसके कारण हर किसी के लिए खेल का खर्चा निकालना मुश्किल हो जाता हैं। इसलिए अगर किसी को जीवन में शूटिंग ही करनी है, तो साथ में कोई जॉब या व्यापार भी करना पड़ेगा। शूटिंग मेरे लिए केवल खेल ही नहीं है। निशानेबाजी को मैं जीता हूं, मेरी रग-रग में निशानेबाजी समाई है। मेरा मानना है किसी को भी अगर कोई खेल खेलना है। इन सब के साथ परिवार की जिम्मेदारी को बखूबी संभालकर पत्नी डॉ. प्रियंका राठौड़ का भी मेरी इस सफलता में बहुत बड़ा योगदान है।