कभी पानी के पास जाने से भी डर लगता था। लेकिन कोच व बजरंगलाल ताखर ने नौकायन के लिए प्रेरित करने पर सीखना शुरू किया। 2014 में एशियन गेम्स में पदक नहीं जीतने पर कुछ निराशा थी। लेकिन कोच, बजरंगलाख ताखर, परिजनों व साथियों ने हिम्मत बंधाई तो फिर से प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया।
सात माह की लगातार मेहनत का नतीजा रहा कि नौकायन में देश के लिए स्वर्ण पदक जीता। विदेश की धरती पर तिरंगा फहराने पर सिर फर्क से ऊंचा हो गया। जकार्ता में चल रहे एशियन गेम्स में झुंझुनूं के गांव बुडाना निवासी राजपूताना राइफल्स में कार्यरत किसान के बेटे ओमप्रकाश कृष्णियां ने यह बात राजस्थान पत्रिका को जकार्ता से विशेष बातचीत में बताई।
उन्होंने आदर्श बजरंगलाल ताखर को बताया। स्वर्ण पदक विजेता दल में शामिल बुडाना के ओमप्रकाश ने बताया कि गुरुवार को डब्लस में काफी आगे चल रहे थे। लेकिन अचानक पिछडकऱ हार गए। उन्होंने बताया कि हार को लेकर काफी निराश था, रात को अकेले में काफी रोया। कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था, लेकिन कोच के अलावा परिचित व जानकारों ने हौसला बंधाया।
ऐसे में अच्छा प्रदर्शन करने का निर्णय लिया, इसका परिणाम रहा कि टीम के साथ मिलकर देश के लिए स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने बताया कि जिन्दगी के सबसे बेहतरीन पलों में से था। परिजनों ने बताया कि दसवी की पढ़ाई के बाद में ओमप्रकाश सेना में भर्ती हो गया। शुरू से ही खेलों में रूझान होने के कारण नौकायान का प्रशिक्षण पूणे में लिया। भाई जयप्रकाश ने बताया कि बड़े भाई का सपना देश के गोल्ड मेडल जीतना था। वर्ष 2014 में एशियन गेम्स में पांचवा स्थान प्राप्त किया था। लेकिन इसके बावजूद हिम्मत नहीं हारते हुए प्रैक्टिस जारी रखी।
पहले हुए निराश
फौज में कार्यरत छोटे भाई जयप्रकाश ने बताया कि गुरुवार को डब्लस में स्थान नहीं बनाने से बड़ा भाई निराश था। लेकिन परिजनों व साथियों ने हिम्मत बंधाई।
इस पर टीम के साथ श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए शुक्रवार को देश के लिए सोना जीता। देश के लिए स्वर्ण पदक जीतकर सीना चौड़ा कर दिया है। मां बोली शुरू से ही खेल में रूची किसान पिता शीशपाल कृष्णियां व मां शरबती ने बताया कि ओमप्रकाश की पढ़ाई से ज्यादा खेलों में रूची रही थी। एक दिन उसने नौकायान के लिए तैयारियों की बात कही। लेकिन रुपए खर्च होने की बात कही, इस पर मां शरबती ने हौंसला बढ़ाया। इसका परिणाम रहा कि कड़ी मेहनत में जुट गया।
पत्नी से कहा इस बार लाऊंगा सोना
पत्नी सरोज पति की सफलता स्वयं को गौरावंति महसूस कर रही है। सरोज ने बताया कि 13 अगस्त को फोन किया। उस समय ओमप्रकाश तैयारियों में जुटे हुए थे। पत्नी को कहा कि इस बार गोल्ड मेडल लेकर ही लौटेगा। भाई जयप्रकाश ने बताया कि सुबह प्रतियोगिता होने पर टीवी पर टकटकी लगाए बैठा था। लेकिन मैच का सीधा प्रसारण नहीं होने पर इंटरनेट पर जानकारी ले रहा था। कुछ देर बाद परिणाम आने पर खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ओमप्रकाश का बेटा भव्य फिलहाल नर्सरी में पढ़ रहा है। चाचा, दादा, दादी, मां व चाची से पिता की उपलब्धी पर सारे मेडल गले में डालकर घूमता नजर आया। बेसब्री से पिता के आने का इंतजार कर रहा, रह-रहकर मां से पूछता पापा कब आएंगे।
रक्षाबंधन पर दिया अनमोल उपहार
बहन प्रमिला भाई की उपलब्धि से काफी खुश है। उसने बताया कि एक दिन पहले डब्लस में पदक नहीं जीतने पर कुछ निराश था। प्रमिला ने बताया कि गुरुवार को भाई को फोन कर हौंसला बंधाया। शुक्रवार को स्वर्ण पदक जीतने पर बधाई दी। उसने बताया कि रक्षाबंधन पर भाई ने बहुत अनमोल उपहार दिया है। इस पर देश की हर बहन स्वयं को गौरवांवित महसूस कर रही है।