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VIDEO : राजस्थान बजट 2017 में सीकर को ये दिखाए गए थे ख्वाब, जानिए इन ख्वाबों की कड़वी हकीकत

Rajasthan Budget : आज हम आपको सीकर जिले की बजट 2017 और उससे पहले की उन घोषणाओं से रुबरू करवाते हैं, जो सालों से धरातल को तरस रही है।

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सीकर.

केंद्र सरकार आम बजट 2018 के बाद राजस्थान सरकार ने भी इस कार्यकाल का अंतिम बजट 2018 पेश करने की तैयारी कर ली है। इस साल सरकार की आमदनी और खर्चे क्या होंगे और विकास की कौनसी योजनाएं होंगी, इन सबका ब्यौरा जनता के सामने रखा जाएगा। लेकिन, इससे पहले आज हम आपको सीकर जिले की बजट 2017 और उससे पहले की उन घोषणाओं से रुबरू करवाते हैं, जो सालों से धरातल को तरस रही है।

 

 

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सरकार हर साल इन्हें कागजों में तो दौड़ाती नजर आती है, लेकिन जमीनी हकीकत से यह अब भी कोसों दूर है। जो योजनाएं कहीं शुरू भी हुई है तो उनकी चाल इतनी धीमी है कि कछुआ भी उसके सामने शर्मा जाए। तो पेश है प्रदेश सरकार के बजट पर सीकर टीम की एक खास पेशकश


हर साल सरकारें बजट पेश करती है। विकास के दावों के साथ कई घोषणाएं की जाती हैं। लेकिन, धरातल पर उनमें से कितनी आ पाती है, इसकी बानगी सीकर जिले में देखी जा सकती है। जहां सालों पहले की घोषणाएं तक या तो हवा में है या कागजों में। धरातल पर भी है तो उसकी चाल कछुए से भी धीमी है।

 

 

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शुरुआत मेडिकल कॉलेज से करते हैं। जो सियासतदांओं की ओर से सीकर की जनता को दिया गया वो झुंझुना साबित हो रही है जिसे जनता समझ भी चुकी है और उकता भी चुकी है। लेकिन, फिर भी इस पर सियासत है कि रुकने का नाम नहीं ले रही।

 

बतादें कि पिछली कांग्रेस सरकार ने पीपीपी मोड पर सीकर में मेडिकल कॉलेज की घोषणा की थी। जिसे प्रदेश की भाजपा सरकार ने आते ही भुला दिया। लेकिन, सांसद सुमेधानंद सरस्वती के जोर लगाने पर प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद तीन साल पहले प्रदेश सरकार ने भी बजट घोषणा में इसे मंजूरी दे दी। लेकिन, तीन साल में इस कॉलेज के खुलने के सिर्फ दावे ही हुए।

 

 

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हकीकत में तो इसके भवन निर्माण की एजेंसियां ही ढिलाई के कारण बदली जाती रही। जिसके कारण मेडिकल कॉलेज का भवन निर्माण ही पूरा नहीं हो पाया। ऐसे में कॉलेज के लिए नियुक्त एक प्रिंसिपल के पास तक कोई काम नहीं रहने से वे भी कभी कभार ही सीकर आने की जहमत उठाते हैं।

 

आरोप तो यह भी है कि मेडिकल कॉलेज सीकर के सांसद सुमेधानंद सरस्वती और मुख्यमंत्री की आपसी खींचतान की वजह से अटक रहा है। क्योंकि सांसद की प्रधानमंत्री से वार्ता के बाद मिले कॉलेज को प्रदेश सरकार की मुखिया अस्तित्व में नहीं लाना चाहती।

 

पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय

 

मेडिकल कॉलेज की तरह ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय भी लगभग एक दशक से धरातल के इंतजार में है। जिसकी घोषणा भाजपा सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में ही कर दी थी। लेकिन, आज तक उसे ना तो अपना भवन मिल पाया है और ना ही स्टाफ। हालांकि विश्वविद्यालय के लिए जमीन का चयन कटराथल में 2012 में कर लिया गया था।

 

लेकिन, पहले कुलपति की नियुक्ति के बाद से ही राजनेताओं ने ऐसा सियासी खेल रचा कि विश्वविद्यालय अब तक जमीन से ही दूर है। कॉलेज का अब तक ना तो अपना भवन बन पाया है ना यहां छह साल से अटकी स्टाफ की नियुक्ति हो पाई है। विश्वविद्यालय अब भी एसके कॉलेज के छात्रावास भवन में ही संचालित है। जो प्रतिनियुक्ति से मिले स्टाफ की बदौलत कॉलेजों को ऐफिलिएशन जारी करने और परीक्षाएं कराने की संस्था बनकर रह गया है।

 

लक्ष्मणगढ़ की सीवरेज योजना

 

लक्ष्मणगढ़ की सीवरेज योजना की बात करें तो यह दो साल पहले की बजट घोषणा का काम अब भी अधर झूल में चल रहा है। आलम यह है कि अगस्त 2017 में जो प्रोजेक्ट पूरा होना था, उसका तीन में से एक एसटीपी भी पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हो पाया है। ऐसे में यहां भी लोगों को बजट घोषणा कागजी ही नजर आने लगी है।

 

 

राजस्थान सरकार ने गत बजट में ही सीवरेज प्रोजेक्ट की सौगात लक्ष्मणगढ़ को दी थी। सौगात मिलने के साथ जब प्रोजेक्ट अगस्त 2017 में ही पूरो होने की घोषणा हुई, तो कस्बे के लोग भी बड़ी भारी उम्मीद से इस सौगात के पूरा होने का इंतजार करने लगे। लेकिन, जब प्रोजेक्ट की गति कछुआ चाल हो गई, तो अब लोगों का बजट घोषणा से ही विश्वास उठ गया। अगस्त 2017 में पूरा होने वाला प्रोजेक्ट 2018 में भी आधा रास्ता तक तय नहीं कर पाया। जिसे लेकर लोगों की सरकार के प्रति नाराजगी भी जाहिर होने लगी है। बजट घोषणा को कागजी घोषणा बताने के साथ लोग भाजपा सरकार के इस पूरे कार्यकाल में ही प्रोजेक्ट पूरा नहीं होने की बात कहने लगे हैं।

 

 

प्रोजेक्ट की गति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि योजना के तहत लक्ष्मणगढ़ में तीन एसटीपी का निर्माण होना था। लेकिन, अब तक एक एसटीपी भी पूरा नहीं हो पाया है। वहीं, नाले भी आधे कस्बे में भी नहीं बिछ पाए हैं। खास बात यह है कि सरकारी बजट घोषणा के इस प्रोजेक्ट में अब कमी भी बजट की ही बताई जा रही है। बहरहाल नयो बजट अब सामने है। लक्ष्मणगढ़ ने ई बार कोई सौगात मिलेगी या नहीं या वास्तव में कोई पूरी होबाळी सौगात मिलेगी आ देखबाळी बात रहवेगी।

 

 

अब आपको ले चलते हैं फतेहपुर। यहां 2011 की बजट घोषणा ही अब तक जमीन से दूर है। 2011 में कांग्रेस सरकार ने सीवरेज प्रोजेक्ट की घोषणा हुई थी। लेकिन, सात साल बाद भी योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पाया है। इसी तरह बात अगर श्रीमाधोपुर तहसील की करें तो यहां 9 करोड 97 लाख की लागत से बनने वाली आईटीआई कॉलेज लोगों के लिए सपना ही बनी है। जिसकी घोषणा दो साल पहले बजट में हुई थी। लेकिन, कॉलेज शुरू होना तो दूर उसका भवन निर्माण भी अब तक पूरा नहीं हुआ है। नीमकाथाना, दांतारामगढ़ और खंडेला में भी पेयजल योजनाएं दूर की कौड़ी साबित हो रही है।

 


कुंभाराम लिफ्ट परियोजना

 

 

अब बात करते हैं उस परियोजना की जिसका इंतजार जिलेवासियों को करीब एक दशक से हैं। जी, हां कुंभाराम लिफ्ट परियोजना की। जिसकी घोषणा पिछली कांग्रेस सरकार ने सीकर और झुंझुनूं के हलक तर करने के लिए की थी। लेकिन, योजना सियासत में ऐसी उलझी कि इसका फायदा झुंझुनूं जिले को मिलना तो जरूर शुरू हो गया है, मगर लेकिन सीकर जिले के लिए योजना की डीपीआर ही अब तक है। ऐसे में लंबे समय से पेयजल संकट से जूझ रही जनता के लिए पानी की यह योजना अब तक सब्ज बाग ही बनी हुई है। इसके अलावा हर उपखंड मुख्यालय पर सरकारी कॉलेज खोलना भी सरकार की पिछली बजट घोषणा का हिस्सा था। लेकिन, कॉलेज खुलना तो दूर कॉलेज की नींव का एक पत्थर तक नहीं रखा गया।

 

तो यह है सीकर जिले की प्रमुख बजट घोषणाओं के हाल। जो कहीं ठंडे बस्ते में है तो कहीं कागजों में ही दबी पड़ी है। जो बाहर है उसकी रफ्तार मंद पड़ी है। यदि इनमें बजट के अलावा की सरकारी घोषणाएं जोड़ दें तो सरकार के हालात और भी बद्तर नजर आएंगे। बहरहाल सामने नई उम्मीदों के साथ फिर नया बजट है और जिलेवासियों में पुरानी घोषणाएं पूरी होने के साथ शेखावाटी को संभाग बनाने, नीमकाथाना को अलग जिला बनाने और नवलगढ़ पुलिया के फोरलेन होने सरीखी उम्मीदें हिलोरे खा रही है। ऐसे में अब यही देखना है कि सरकारी बजट 2018 का पिटारा इस बार जिले के दामन को खुशियों से भर पाएगा या नहीं।

 

 

नफरी व थाने बढ़े तो मिले सुरक्षा

 

 

अब अगर बात कानून व्यवस्था की करें तो सीकर जिले में नित नए अपराध हो रहे हैं। अपराधी हाईटेक होते जा रहे हैं और पुलिस अभी भी कई मामलों में पुराने ढर्रे पर ही काम कर रही है। सीकर में पुलिस की नफरी बढ़ाने के साथ-साथ नए थानों और डीएसपी कार्यालय खोले जाने की बजट 2018 से उम्मीद है। सीकर के धोद, जाजोद और पचलंगी आदि में पुलिस थाने की दरकार है। पिछली बजट घोषणाओं को देखें तो सीकर जिले में दादिया, बलारा, उद्योग नगर और सदर पुलिस थाने खोले गए, मगर इन पुलिस थानों में अभी स्टाफ के लिए आवासीय क्वार्टर नहीं बने हैं।

 

 

महिला थाना काफी दूर

 


सीकर में महिला पुलिस थाना पिछले बजट घोषणाओं के तहत खोला गया है। शुरुआत इसकी एसके अस्पताल में पुलिस चौकी से हुई थी। वर्तमान में महिला पुलिस थाना स्थायी रूप से सांवली रोड पर शिफ्ट कर दिया गया, जो शहर से काफी दूर है।