13 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सीकर

सीकर की बेटी मोनिका ने जीते राष्ट्रीय स्तर पर दो पदक

अंतरराष्ट्रीय ट्राइल्स क्वालीफाई के साथ जीते दो पदक, अब देश के लिए खेलने का सपना

Google source verification

निशानेबाजी में बेटियों को आगे लाने से रोकने वाले समाज व लोगों को जवाब देने वाली तस्वीर सामने आ रही हैं। निशानेबाजी, घुड़सवारी व तलवार बाजी में शेखावाटी की बेटियां बेटो से कम नहीं हैं। सीकर से दासा की ढाणी की रहने वाली मोनिका जाखड़ ने दो साल की कड़ी मेहनत और जज्बे से इंटर नेशनल टीम ट्रायल्स क्वालीफाई करने के साथ रजत व कांस्य पदक जीता हैं। मोनिका केरल के तिरूवंतपुरम में 20 नवंबर से हो रही 65वीं नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप प्रतियोगिता में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रही है। इस चैंपियनशिप के सभी इवेंट्स में देशभर के करीब आठ हजार निशानेबाज भाग ले रहे हैं। इससे पहले मोनिका दो बार राष्ट्रीय और तीन बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी है। राज्य स्तर पर दो बार में तीन पदक भी जीते हासिल किए हैं।

लाखों का पैकेज छोड़ा, घरवालों को राजी किया
शुरू में मोनिका को परेशानी का सामना भी करना पड़ा। उसने 2019 में निशानेबाजी की तैयारी शुरू की थी। गुडगांव में एमबीए पूरी करने के बाद दिल्ली में साढ़े आठ लाख रुपए का पैकेज पर जॉब कर रही थी। रोहिणी दिल्ली में दोस्त के साथ शूटिंग रेंज में देखने के लिए गई। बस वहीं से ही शूटिंग करने के लिए ठान लिया। खुद से ही फैसला कर लिया कि छह महीने में ही कुछ करना है। अगले ही दिन से शूटिंग रेंज में प्रेक्टिस शुरू कर दी। माता-पिता को बताया तो नाराज हो गए। पिता विजयपाल सिंह ने साफ मना करते हुए कहा शूटिंग का समय नहीं है। जैसे- तैसे मां विमला जाखड़ को राजी किया। माता-पिता से चैलेंज कर वादा लिया कि छह महीने में कुछ नहीं कर पाई तो वापस नौकरी करने लगेगी या फिर घर आ जाएगी। इसके बाद पापा ने शूटिंग करने के लिए परमिशन दे दी। बस तभी से ही शूटिंग के लिए जुट गई।

नेशनल के लिए क्वालिफाई किया तो पापा हुए खुश
जुलाई 2018 में शूटिंग शुरू करने के 25 दिन बाद ही अगस्त में स्टेट खेलने का मौका मिला। उसके पास राइफल किट नहीं थी। शेखावाटी शूटिंग रेंज से किट लेकर स्टेट में क्वालिफाई किया। अक्टूबर 2018 में देहरादून में नॉर्थ जोन नेशनल और केरल में नेशनल गेम्स में 3 पॉइंट से क्वालिफाई किया। क्वालिफाई करने के बाद पापा काफी खुश हुए और जी जान से शूटिंग करने का आशीर्वाद दिया। पापा ने खुश होकर राइफल किट भी ऑर्डर कर दी। अब मोनिका का सपना ओलम्पिक में जाकर देश के लिए पदक जीतने का है।

इन मुकाबलों में जीते पदक
प्रतियोगिता में राइफल शूटिंग की 10 मीटर एयर राइफल और 50 मीटर प्वाइंट टू-टू राइफल की अलग-अलग कैटेगरी में कई मुकाबले खेले जाएंगे। 50 मीटर आईएसएसएफ सिविलियन कैटेगरी में मोनिका जाखड़, माननी कौशिक, कीर्ति राज ने टीम इवेंट में रजत पदक जीता। 50 मीटर राइफल थ्री पोजिसन आईएसएसएफ राष्ट्रीय चैंपियनशिप के टीम इवेंट में मोनिका जाखड़, कीर्ति राज, मानिनी कौशिक ने कांस्य पदक जीता हैं। मोनिका वर्तमान में पूना महाराष्ट्र में दो महीने से पीजी में रहकर तीन बार ओलपिंयन रही कोच अंजली भागवत से प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। मोनिका का अगला इंवेट 10 मीटर एयर राइफल सात दिसंबर को होगा। मोनिका ने बताया कि वह दस दिन के लिए वापस पूना जा रही हैं। दस दिन के प्रशिक्षण के बाद वे केरल आएगी।

माता-पिता का काफी अहम योगदान
पुणे में ट्रेनिंग कर रही हैं। पिछले दो महीने से हर दिन 7 घंटे प्रैक्टिस कर रही हैं। उन्होंने बताया कि माता-पिता के साथ भाई बहन भी पूरा सपोर्ट करते हैं। हर सफलता के पीछे उनके माता-पिता का काफी अहम योगदान है। भाई दुष्यंत जाखड़ पिता के साथ उनका बिजनेस संभालते हैं। मोनिका को पढ़ने लिखने और आर्ट एंड क्राफ्ट का काफी शौक है। मोनिका घर जाती हैं तो अपनी छोटी बहन को भी शूटिंग के टिप्स देती हैं। मोनिका के पिता विजयपाल जाखड़ ने बताया उनकी बेटी मेहनत करने में कोई कमी नहीं छोड़ती। उसकी मेहनत का ही नतीजा है कि वह शूटिंग में अपना नाम रोशन कर रही है। उनका सपना है कि उनकी बेटी ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल जीते। मोनिका का कहना है कि जीवन में एक लक्ष्य रखेंगे तो सफलता आपके कदम खुद ही चूमेगी।

इस तरह तय किया सफर
मोनिका ने सीकर में शेखावाटी शूटिंग रेंज में आकर प्रेक्टिस शुरू की। प्रेक्टिस शुरू करने के दो महीने बाद ही सीकर से पहला मैच खेलकर क्वालीफाई किया था। दस दिन बाद ही जयपुर में आयोजित स्टेट चैम्पियनशिप खेली। 400 से 363 स्कोर कर गोल्ड लिया। बस यहीं से ही टर्नओवर आया। कोच दीपेंद्र सिंह ने 10 मीटर एयर राइफल के लिए प्रेक्टिस शुरू कराई। नियमित प्रेक्टिस और एक्सरसाइज का टाइम बनाया। डेढ़ महीने बाद ही सितम्बर में नॉर्थ जोन की चैंपियनशिप थी। उसके पास न तो राइफल थी और ना ही किट थी। इसके बाद भी हिम्मत के बल पर बिना संसाधनों के प्रेक्टिस शुरू की। 400 में से 385 का स्कोर हासिल किया। अब आगे टीम में शामिल होने के लिए रिनॉउड की तैयारी थी। मोनिका का कहना है कि कोविड के समय भी अपनी प्रैक्टिस नहीं छोड़ी। रोजाना तीन घंटे प्रैक्टिस करती थी।

कोच की जुबानी
कोच दीपेंद्र सिंह बताते हैं कि मोनिका में शूटिंग का अलग ही जज्बा है। नॉर्थ जोन खेलने के बाद राष्ट्रीय प्रतियोगिता में रिनॉउड खेलने की तैयारी की। कंधे में खिंचाव आ गया। काफी दिन तक प्रेक्टिस नहीं कर सकी। इधर चैंपियनशिप काफी नजदीक आ गई। उसने प्रेक्टिस के लिए किराए पर राइफल ली और खुद की किट बनवाई। नियमित रूप से प्रेक्टिस की। दिसम्बर में प्रतियोगिता हुई और 600 में से 593 का स्कोर किया। मोनिका केवल छह महीने में ही रिनॉउड शूटर बन गई। इंडिया टीम के लिए ट्रायल्स पूरा कर टीम में शामिल हुई। 15 वीं रैंक के साथ भारतीय निशानेबाज की फाइनल टीम के लिए क्वालिफाई किया।