नगर निगम में हंगामे से शुरू हुई बैठक, हंगामे से ही समाप्त
सिंगरौली. नगर निगम में मंगलवार को परिषद की बैठक हंगामे के साथ शुरू हुई और पूरे समय हंगाम ही होता रहा है। एजेंडा पर चर्चा तो दूर पहले सत्र में पार्षदों के प्रश्नों पर निगम का जवाब तक नहीं सुना जा सका। दूसरे सत्र में कुछ प्रश्नों के जवाब के साथ परिषद अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
नगर निगम की ओर से 10 सूत्रीय एजेंडा पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक की शुरुआत शहर के शिवाजी कॉम्प्लेक्स में हुए पाइप लाइन घोटाले के मुद्दे से हुई। स्वयं अध्यक्ष देवेश पांडेय ने निगम आयुक्त से पाइप लाइन घोटाले की जांच और कार्रवाई की जानकारी चाही। पार्षदों की ओर से भी मुद्दा उठाया गया। इस पर करीब 10 मिनट तक चले हंगामे और निगम की ओर से उचित जवाब नहीं मिलने पर अध्यक्ष ने बैठक को आधे घंटे के लिए ये कहते हुए स्थगित कर दिया कि निगम अधिकारी अब बैठक शुरू होने पर जांच और कार्रवाई की स्थिति को स्पष्ट करें। इसके बाद परिषद की आगे की कार्यवाही की जाएगी। पार्षद ने सदन में हंगामा करते हुए निगम अधिकारियों पर आरोप लगाया कि लाखों रुपए के घोटाले में निगम अधिकारी लीपापोती कर रहे हैं।
परिषद की बैठक दोबारा करीब एक बजे शुरू हुई। दोबारा शुरू हुई बैठक में आयुक्त डीके शर्मा ने बताया कि शिवाजी कॉम्प्लेक्स में पेयजल आपूर्ति के मद्देनजर सप्लाइ एंड डेइंग वर्क में 38.33 लाख रुपए का ठेका किया गया था। जांच में मौके पर केवल 7.14 लाख रुपए का कार्य पाया गया है। आयुक्त ने सदन को बताया कि इस मामले में उनकी ओर से उपयंत्री अनुज सिंह पर निलंबन तक की कार्रवाई तत्काल की गई है। साथ ही उपयंत्री पीके सिंह से सभी प्रभारी छीन लिया गया है। बाकी के अधिकारियों पर कार्रवाई उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इसलिए विभागीय जांच के साथ कार्रवाई का प्रस्ताव मेयर इन काउंसिल में रखा जाएगा। आयुक्त की इस जानकारी के बाद अध्यक्ष ने परिषद में आगे की कार्यवाही शुरू करने की बात कही गई। यह बात और रही कि कांग्रेस समर्थित पार्षदों ने कई अन्य दूसरे भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दे को लेकर हंगामा जारी रखा।
वार्डों में भी पाइप लाइन घोटाले का आरोप
परिषद में पार्षद अखिलेश सिंह ने वार्डों में बिछाई गई पाइप लाइन में घोटाले का मुद्दा भी उठाया। कहा कि जांच में घोटाला सामने आया है, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई है। पार्षद बंतो कौर, शत्रुघ्न लाल, परमेश्वर पटेल व गेंदलाल सहित अन्य ने अखिलेश सिंह का समर्थन किया। इसको लेकर जमकर हंगामा हुआ। पार्षद अखिलेश सिंह ने कहा कि 17 हजार किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने के बजाए केवल 8400 किलोमीटर रेंज में पाइपलाइन बिछाई गई है। इनमें करोड़ों रुपए का घोटाला बताया गया। इस मामले में अध्यक्ष ने कहा कि अभी केवल एक वार्ड की जांच हो पाई है। आयुक्त सभी वार्डों की जांच कराते हुए कार्रवाई करें। यह बात और है कि पार्षद पहले जो जांच हुई है, उसमें कार्रवाई की मांग को लेकर अड़े रहे।
नेता प्रतिपक्ष के चेंबर को लेकर हंगामा
परिषद में नेता प्रतिपक्ष सीमा जायसवाल ने एक दिन पहले सोशल मीडिया पर उनके चेंबर को लेकर किए गए टिप्पणी पर आपत्ति की। इस पर कांग्रेस समर्थित पार्षद फिर से हंगामे पर उतर आए। पार्षदों की ओर से आपत्ति किया गया कि नेता प्रतिपक्ष का चेंबर बनाने के लिए एमआइसी सदस्य का चेंबर तोड़ दिया गया। पार्षदों ने आयुक्त से जानना चाहा कि ऐसा क्यों किया गया। साथ ही एक्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि नेता प्रतिपक्ष जैसा कोई पद नहीं है। फिर चेंबर किस लिए। इसको लेकर करीब आधे घंटे तक बहस चली। इस बीच अध्यक्ष दोनों पक्षों को समझाते रहे, लेकिन हंगामा जारी रहा। अंतत: अध्यक्ष पहले सत्र का समापन करते हुए सदन से बाहर चले गए।
ये बिन्दु भी उठे
– नगर निगम स्टोर में बड़े पैमाने पर खरीदी में भ्रष्टाचार में लीपापोती का आरोप लगाया गया।
– आउटसोर्सिंग पर सफाई कर्मियों के भुगतान में करोड़ों की हेराफेरी का आरोप लगाया गया।
– भ्रष्टाचार के मामले में जांच और कार्रवाई में निगम अधिकारियों लीपापोती का आरोप लगा।
– निर्माण में भी गुणवत्ता को नजरअंदाज करने के आरोप के साथ जांच व कार्रवाई की मांग।