जयपुर। सार्वजनिक परिवहन शहर की बड़़ी समस्या बन चुकी है। पिछले 10 सालों में भाजपा और कांग्रेस सरकार में सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने के कोई काम नहीं किए गए। पिछले 10 सालों की बात करें तो राजधानी की आठ विधानसभा सीटों से पांच मंत्री बने। खास बात है कि भाजपा सरकार में झोटवाड़ा से जीते राजपाल सिंह शेखावत नगरीय विकास मंत्री बने और कांग्रेस सरकार में सिविल लाइंस से जीते प्रताप सिंह खाचरियावास परिवहन मंत्री बने। इसके बाद भी जयपुर के सार्वजनिक परिवहन को सही दिशा नहीं मिल पाई। वर्तमान िस्थत यह है कि 10 सालों में सिटी बसों की संख्या बढ़ने के बजाय कम हो गई है। वर्तमान में 1500 बसों का संचालन होना चाहिए जो महज 200 बसें ही चल रही हैं। वहीं, नौ साल में मेट्रो का विस्तार नहीं हो पाया है। शहर की लाइफ लाइन के रूप में सामने आया ई रिक्शा की पॉलिसी आज तक धरातल पर नहीं आई है। सार्वजनिक परिवहन मजबूत हो तो 10 लाख यात्रियों को रोज राहत मिलेेगी।
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विस क्षेत्र : अभी विधायक : पिछली बार
झोटवाड़ा : लालचंद कटारिया: राजपाल सिंह
विद्याधर नगर: नरपत सिंह राजवी : नरपत सिंह
सांगानेर : अशोक लाहोटी : घनश्याम तिवारी
मालवीय नगर : कालीचरण सराफ : कालीचरण सराफ
सिविल लाइंस : प्रताप सिंह : अरुण चतुर्वेदी
आदर्श नगर : रफीक खान अशोक परनामी
किशनपोल: अमीन कागजी : मोहनलाल गुप्ता
हवामहल : महेश जोशी : सुरेन्द्र पारीक
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मेट्रो : आठ साल में 12 किमी बढ़ी, 23 किमी के सफर पर सिर्फ चर्चा
जब जयपुर में मेट्रो का संचालन शुरू हुआ, उस समय चुनिंदा शहरों में ही मेट्रो का संचालन होता था। जयपुर के बाद जिन शहरों में मेट्रो शुरू हुई। वहां विस्तार भी तेजी से हुआ। राजधानी में विस्तार की गति भी बेहद धीमी रही। पहले चरण की शुरुआत के पांच वर्ष में महज 2.4 किमी का ही विस्तार हो पाया है। वहीं, आठ साल में 12.03 किमी ही मेट्रो बढ़ पाई। अम्बाबाड़ी से सीतापुरा तक 23.5 किमी का चरण धरातल पर नहीं आ रहा है।
दूसरे शहरों से पीछे हैं मेट्रो
मेट्रो शुरू संचालन (किमी)
जयपुर मेट्रो 3 जून 2015 12.94
चेन्नई मेट्रो 29 जून 2015 54.15
लखनऊ मेट्रो 5 सितम्बर 2017 22.87
हैदराबाद मेट्रो 29 नवम्बर 2017 67
ऐसे समझें धीमी चाल
-फेज 1 ए: (मानसरोवर से चांदपोल तक)- रूट:9.63 किमी: तीन जून, 2015 को इस रूट पर संचालन शुरू हुआ।
-फेज 1बी: (चांदपोल से बड़ी चौपड़)- रूट:2.4 किमी: काम बेहद धीमी गति से चला।
23 सितम्बर, 2020 से परकोटे में ट्रेन का संचालन शुरू हुआ।
-फेज1 सी: (बड़ी चौपड़ से ट्रांसपोर्ट नगर)-रूट: 2.85 किमी: 21 सितम्बर को इसका शिलान्यास हो चुका है। अप्रेल, 2027 तक काम पूरा करना है।
-फेज 1 डी: (मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से 200 फीट बायपास तक)-रूट: 1.35 किमी: अभी इसका काम शुरू नहीं हुआ है।
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फेज-2 का भविष्य खतरे में
अम्बाबाड़ी से सीतापुरा तक 23.5 किमी का चरण धरातल पर नहीं आ रहा है। जबकि, पिछले 10 वर्ष से इसकी चर्चा हो रही है। तीन बार तो डीपीआर बन चुकी। 4546 करोड़ रुपए इस प्रोजेक्ट पर खर्च होने का अनुमान है। फेज टू में ट्रेन का संचालन पूरे टोंक रोड पर होगा। ऐसे में यात्री भार भी अच्छा खास मिलेगा। 21 एलिवेटेड स्टेशन प्रस्तावित हैं।
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सिटी बस : दस साल में बढ़ने के बजाय कम हो गईं, पांच लाख यात्री बेबस
राजधानी में जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज (जेसीटीएसएल) की बसों की संख्या पिछले 10 साल में बढ़ने के बजाय कम हो गई हैं। 2013 में जहां शहर में 400 सिटी बसें संचालित होती थी। वहीं, वर्तमान में 200 बसें ही संचालित हो रही हैं। शहर की आबादी के हिसाब से तुलना करें तो वर्तमान में करीब 1500 बसों का संचालन होना चाहिए। लेकिन 10 साल में भाजपा और कांग्रेस सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट को नहीं बढ़ा पाई।
Vijay Sharma, [10/29/2023 12:15 PM]
400 बसें कंडम हो गई, खरीदी 200
पिछले 10 साल में करीब 400 बसें कंडम हो गई, जिन्हें सड़क से हटा दिया गया। लेकिन इन 10 सालों में महज 200 ही नई बसें खरीदी गई। ये बसें अभी संचालित हो रही है। इन बसों में करीब डेढ़ लाख यात्री सफर कर रहे हैं। अगर 1500 बसों का संचालन किया जाए तो करीब पांच लाख से अधिक यात्रियों को राहत मिल सकती हैं।
–घोषण के बाद भी नहीं आई 300 इलेक्ट्रिक बस
कांग्रेस सरकार ने बजट में शहर में 300 इलेक्ट्रिक बसों की घोषणा की। लेकिन शहर में एक भी इलेक्ट्रिक बस संचालित नहीं हो सकी है। इसके अलावा 100 इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने की प्रक्रिया भी शुरू हुई, लेकिन यह प्रक्रिया भी अभी कागजों में अटकी हुई है। इलेक्ट्रिक बसों का संचालन हो तो शहर में प्रदूषण कम होेगा।
यह रही सिटी बसों का िस्थति पिछले 10 साल में
—2013 में 400 बसें संचालित थी
— 2011 में खरीदी थी 280 बसें 2020 में कंडम हो गई
— 2013 में खरीदी 120 बसें मार्च 2023 में कंडम हो गई
— 2016 और 2020 में कुल 200 बसें नई आई जो वर्तमान में संचालित हैं
–300 इलेक्ट्रिक बसें आनी हैं, जो अभी तक नहीं आई
— 200 बसें संचालित हैं वर्तमान में
— 1.50 लाख यात्री सफर करते हैं
–1500 बसें होनी चाहिए आबादी के हिसाब से
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ई रिक्शा : शहर की लाइफ लाइन फिर भी नौ साल में पॉलिसी तक नहीं बन पाई
राजधानी मेंं नौ साल पहले शहर की लाइफ लाइन के रूप में सामने आए ई रिक्शा बिना पॉलिसी के परेशानी के रूप में सामने आ रहे हैं। इस दौरान भाजपा और कांग्रेस सरकार ने ई रिक्शा को शहर में संचालित करनेे लिए कोई पुख्ता पॉलिसी नहीं बनाई। इसका नजीता यह रहा है कि ई रिक्शा की संख्या तो बढ़ती गई लेकिन इनके संचालन की कोई व्यवस्था नहीं की। परिवहन विभाग, जेडीए और यातायात पुलिस सालों से ई रिक्शा को लेकर बैठकें कर रहे हैं, लेकिन अभी तक धरातल पर इसका समाधान नहीं हुआ है। हाल ही हुई ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक में 10 जोन में ई रिक्शा चलाने का निर्णय हुआ है।
2014 से शुरू हुए ई रिक्शा
शहर में ई रिक्शा की शुरुआत 2014 में हुई। तब करीब 500 ई रिक्शा संचालित हुए थे। 2018 में बढ़कर इनकी संख्या करीब 14 हजार हो गई और अब 2023 में करीब 29 हजार ई रिक्शा शहर में संचालित हो रहे हैं। शहर के परकोटा की बात करें तो करीब 20 हजार ई रिक्शा यहां संचालित किए जा रहे हैं, लेकिन चारदीवारी में ई रिक्शा संचालन के भी कोई नियम नहीं बनाए गए।
इन जोन में संचालन का हुआ निर्णय
जाेन ई-रिक्शा कलर
झाेटवाड़ा 2500 लाल
सांगानेर 3500 नारंगी
मानसराेवर 3000 पीला
जगतपुरा 2500 भूरा
मालवीय नगर 3500 हरा
हवामहल 3000 ग्रे
सिविल लाइन 3500 मेहरुन
किशनपाेल 4000 गुलाबी
अादर्शनगर 3000 राॅयल ब्लू
मेट्रो