कोटा. शिक्षा नगरी कोटा की फिजां में सद्भाव, सौहार्द की मिठास हमेशा से ही घुलती रही है। यहां तो मंदिर की दीवारें खुद बताती हैं, ईश्वर, अल्लाह, वाहे गुरु, चाहे कहो श्रीराम। सबका मालिक एक है अलग अलग है नाम।
शहर के विज्ञान नगर क्षेत्र में बसावट के बीच सौहार्द व सद्भाव का ऐसा ही एक प्रतीक है मयूखेश्वर महादेव मंदिर। करीब 40 वर्ष पहले वरिष्ठ साहित्यकार बशीर अहमद मयूख ने खुद मंदिर की आधारशिला रखी थी। प्रारंभ में मंदिर भले ही छोटा रहा हो, लेकिन शहरवासियों के लिए प्रेरणा व सद्भाव का बड़ा स्रोत बन गया। मयूख बताते हैं कि कोई किसी भी नाम से ईश्वर को याद करे, रास्ते अलग-अलग हों, लेकिन मंदिर एक है। मंदिर की स्थापना में सभी का सहयोग, अपनत्व व सराहना मिली।
गर्भगृह के द्वार पर राष्ट्रध्वज तिरंगा
मंदिर देशभक्ति का संदेश भी दे रहा है। मयूख बताते हैं कि संभवतया यह देश का पहला ऐसा मंदिर है, जिसके गर्भगृह के द्वार पर राष्ट्रध्वज तिरंगा फ्रेम में वंदेमातरम व अशोक चक्र अंकित है।
समय के साथ बदला रूप
श्रीमयूखेश्वर महादेव मंदिर प्रतिष्ठान धर्मार्थ न्यास के संरक्षक डॉ. वीरेन्द्र सिंह गोधारा व करीब 20 वर्षों से मंदिर में सेवा कर रहे लक्ष्मीनारायण गौतम बताते हैं कि मंदिर प्रारंभ में छोटा था, धीरे-धीरे विकास होता गया। शुरू में शिव परिवार की स्थापना की गई। विज्ञान नगर सेक्टर-3 स्थित मंदिर में अब देवी सरस्वती, गणेश, देवी दुर्गा व पंचमुखी हनुमान मंदिर में स्थापित हैं।
इसलिए है मयूखेश्वर
मयूख बताते हैं कि मयूख का अर्थ चन्द्रमा होता है। भगवान शिव चन्द्रमा को धारण करने वाले हैं, इस कारण मंदिर का नाम मयूखेश्वर रखा गया। मंदिर के नामकरण पर उस समय चर्चा भी की थी, तब मौजी बाबा धाम के संत रामानंद सरस्वती समेत अन्य ने सहमति जताई तो नाम मयूखेश्वर कर दिया। शिवभक्त लंकापति रावण ने भी महादेव को इस नाम से पुकारा है।
शिव भोले भी हैं और तांडव भी कर देते हैं
करीब 97 वर्षीय मयूख बताते हैं कि उनके मन में शिव के प्रति हमेशा से ही श्रद्धा भाव रहा है। जब भी कहीं आते-जाते रास्ते में शिव मंदिर नजर आता तो शीष नवाते हैं। वह बताते हैं कि आदि-अनादि देवों के देव महादेव का चरित्र प्रभावित करता है। वे तांडव भी करते हैं और भोले भी इतने हैं कि भक्तों का कल्याण भी करते हैं। ऐसी ही भावना मन में जागृत हुई तो मंदिर की स्थापना करवाई।