8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

खास खबर

स्कूलों में नहीं कमेटियां फिर भी फीस वृद्धि, सवाल–एक ही स्कूल पर कार्रवाई क्यों

राजधानी के स्कूलों में मनमानी फीस वृद्धि की सैकड़ों शिकायत अभिभावकों कर चुके छह साल बाद भी शहर के स्कूलों में नहीं हो रही फीस एक्ट 2017 की पालना

Google source verification

जयपुर

image

Vijay Sharma

Dec 14, 2023

जयपुर। शहर के एक निजी स्कूल की मनमानी फीस वृद्धि पर संभाग स्तर की फीस विनियामक समिति ने फैसला सुनाया है। समिति ने स्कूल की फीस वृद्धि को नियम विरुद्ध माना है। समिति ने फीस एक्ट 2017 के तहत यह पहली कार्रवाई की है। लेकिन इसी के साथ सवाल भी उठता है कि सैकड़ों शिकायतें होने के बाद भी महज एक ही स्कूल पर कार्रवाई क्यों की गई।
समिति ने जिस नियम को आधार मानकर स्कूल पर कार्रवाई की है, उस नियम की पालना तो किसी भी स्कूल में नहीं हो रही है। पूरे प्रदेश में करीब 38 हजार निजी स्कूल हैं। जयपुर जिले में ही पांच हजार से अधिक निजी स्कूल हैं। इनमें 50 से अधिक संख्या मेंं वे निजी स्कूल हैं, जो हर सत्र में नियम विरुद्ध फीस बढ़ाते हैं। इनकी शिकायतें अभिभावक संघ शिक्षा विभाग और संभागीय आयुक्त स्तर पर करते हैं।

:::::स्कूलों की कमेटियों की छह साल से जाांच तक नहीं
फीस विनियामक समिति ने तर्क दिया है कि स्कूल में पीटीए ( पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन) का गठन नियमानुसार नहीं किया गया। ऐसे में फीस बढ़ोतरी भी सही नहीं है। सवाल उठता है फीस एक्ट बनने के बाद आज तक छह सालों से शिक्षा विभाग ने एक भी स्कूल में कमेटियोें की जांच नहीं की। हकीकत है कि स्कूलों में पीटीए ( पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन) का गठन ही नहीं है। बिना कमेटी ही फीस बढ़ोतरी की जा रही है। ऐसे में सवाल है कि अन्य स्कूलों में फीस वृद्धि की जांच क्यों नहीं की जा रही।

–क्या है फीस बढ़ोतरी का नियम
–फीस एक्ट के अनुसार प्रत्येक स्कूल को पीटीए ( पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन) का गठन करना अनिवार्य
— अभिभावक और स्कूल सभी टीचर इस एसोसिएशन का हिस्सा होते हैं
— शहरी क्षेत्रों में 50 रुपए सदस्यता शुल्क और ग्रामीण क्षेत्रों में 20 रुपए सदस्यता शुल्क देना अनिवार्य है
— अगले सत्र की फीस बढ़ाने के लिए स्कूल लेवल फीस कमेटी (एसएलएफसी) का गठन करना होता है।
— एसएलएफसी के लिए सदस्यों का चयन पीटीए के जरिए लॉटरी से किया जाता है। कमेटी ही फीस तय करती है।


संभागीय स्तर कमेटी का निजी स्कूल पर कार्रवाई का निर्णय अच्छा है। स्कूल की मनमानी के खिलाफ अभिभावक संघर्ष कर रहे थे। लेकिन जयपुर ही नहीं प्रदेश के अधिकतर स्कूलों में फीस एक्ट की पालना नहीं की जा रही है। ऐसा लग रहा है कि संभाग स्तरीय कमेटी ने कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की है। संयुक्त अभिभावक संघ ने पिछले तीन सालों में तीन दर्जन से अधिक स्कूलों की मनमानी फीस वसूलने की शिकायत की है। किसी पर भी कार्रवाई नहीं हुई।
अभिषेक जैन, प्रदेश प्रवक्ता, संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान