श्रीगंगानगर। पुरानी आबादी के गडढा क्षेत्र से साधुवाली गांव के पास लिंक चैनल तक करीब आठ किमी पाइप लाइन के माध्यम से पानी निकासी का मामला खटाई में पड़ गया हैं। हालांकि मल्टीपरपज स्कूल के पास टूटी इस पाइप लाइन को दुरुस्त कराया गया है। इस प्रक्रिया में करीब चौबीस घंटे का समय लगा है। वहीं मल्टीपरपज स्कूल से ए माइनर के बीच पाइप लाइन की मिसिंग सामने आई है। ऐसे में नगर परिषद के अभियंताओं की टीम ने कई जगह ड्रील मशीन से गडढा भी खोदा लेकिन यह पाइप लाइन नहीं मिली। काफी मशक्कत के बाद इस कार्य में लगी टीमों को निराशा हुई तो अब दस साल पहले उस लाइनमैन को तलाशा गया है जिसने इस पाइप लाइन को बिछाया था। इस लाइनमैन की तलाश में नगर परिषद के अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेकेदारों ने कई जगह तलाश कर उसे ढूंढ लिया।
आयुक्त कपिल कुमार यादव ने बताया कि दस साल पहले पुरानी आबादी के एसटीपी की खुदाई हुई थी तब एक पाइप लाइन को पुरानी आबादी से लेकर तीन पुली तक बिछाई गई थी। ताकि एसटीपी निर्माण पूरा होने के बाद इस एसटीपी से पानी को इस पाइप लाइन के माध्यम से बाहर निकाला जा सके। एसटीपी का काम पूरा होने की बजाय निरस्त हो गया था। ऐसे में बिछाई गई पाइप लाइन का इस्तेमाल नहीं हो पाया। अब इस पाइप लाइन को लिंक चैनल तक जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है। मल्टीपरपज स्कूल के पास यह पाइप लाइन टूटी तो आगे पानी पहुंचाने के लिए पाइप लाइन का मिलान करने की प्रक्रिया की गई। लेकिन आगे यह पाइप लाइन नहीं मिली। ऐसे में पूरा काम थम गया है। अब पुराने लाइनमैन को बुलाया गया है।
आयुक्त यादव ने दावा किया कि अगले दो दिनों में मल्टीपरपज स्कूल से लेकर तीन पुली तक और वहां से साधुवाली छावनी के आगे से होते हुए लिंक चैनल तक पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाने का काम पूरा किया जाएगा। मिसिंग पाइप लाइन को लेकर आयुक्त काफी खफा भी नजर आए।
पुरानी आबादी के वार्ड आठ से लेकर तीन पुली तक पाइप लाइन बिछाने के नाम पर करीब दस साल पहले यह कामकाज हुआ था। लेकिन तब ठेकेदारों ने इस पाइप लाइन की बजाय कुछ पाइपें को दबाया था। लेकिन पूरी लाइन के एवज में बिल बनाकर भुगतान भी उठा लिया। जैसे ही पुरानी आबादी की पानी निकासी करने के लिए जिला प्रशासन हरकत में आया है तब ये पुराने मामले सामने आने लगे है। इधर, पूर्व पार्षद रमेश डागला ने बताया कि पुरानी पाइप लाइनें मिटटी से अटी हुई है। कभी इन पाइप लाइनों की सुध तक नहीं ली गई। मिट़टी में दबे इस घोटाले की अब पूरी जांच होनी चाहिए ताकि इस मामले की हकीकत सामने आ सके।
इधर, जवाहरनगर क्षेत्र में वर्ष 2013 में सीवर लाइन बिछाई गई थी। यूआईटी की ओर से यह काम यूईएम कंपनी को अधिकृत किया गया था। लेकिन इस कंपनी ने जवाहरनगर के सैक्टर छह, सात और आठ में कई जगह पाइप लाइनें नहीं बिछाई। इस वजह से सीवर लाइन में पानी टेस्टिंग नहीं हो पाई। करीब दस साल पहले इस कामकाज को लेकर कई बार शिकायतें भी जिला प्रशासन तक पहुंचाई गई लेकिन जांच तक नहीं हुूई। इस वजह से पाइप लाइनों के बारे में यूआईटी के अभियंताओं को जानकारी तक नहीं है। ठेका कंपनी यूईएम कामकाज बीच में ही छोड़कर चली गई तो उसके लाइनमैन और अभियंता भी यहां से रवाना हो गए। अब तक मिसिंग लाइन का मामला सुलझ नहीं पाया है। कई कॉलोनियों में डोर टू डोर सीवर कनेक्शन तक नहीं हो पाए है। इस कारण इस मिसिंग लाइनों के बारे में खुलासा तक नहीं हुआ है।