महेन्द्र सिंह शेखावत/ भानीराम गोदारा
Old Techniqueश्रीगंगानगर, राजियासर. रेतीले धोरों के बीच कहीं एकदम सीधी तो कहीं सांप की तरह बल खाती कंवरसेन लिफ्ट नहर की कहानी बड़ी रोचक है। श्रीगंगानगर के राजियासर के पास से यह इंदिरा गांधी मुख्य नहर की 243 आरडी के बिरधवाल हेड से निकलती है।
Rajiasarराजियासर से बीकानेर के बीच इस लिफ्ट कैनाल की लंबाई 152 किलोमीटर हैं। इस दूरी में नहर का पानी ढाई दर्जन मोटरों के माध्यम से 187 फीट ऊपर उठाया जाता है, तब कहीं जाकर पानी बीकानेर पहुंचता है। इसके लिए बीच में चार पंपिंग स्टेशन भी बने हैं।
नहर का पानी श्रीगंगानगर व Bikanerबीकानेर जिले में कई माइनरों व सीधे मोघों की सहायता से दूरदराज के सैकड़ों गांवों में सिंचाई और पीने के पानी की सप्लाई की जाती है। बिजली की मोटरें लगातार चौबीस घंटे चलती हैं तथा उनके रखरखाव तथा बिजली पर दो से तीन करोड़ रुपए प्रति माह खर्च होते हैं।
इस नहर का निर्माण 1970 में शुरू हुआ था तथा 1972 में पूर्ण हुआ। यह नहर आधुनिक इंजीनियरिंग का अजूबा मानी जाती है। बीकानेर स्टेट के चीफ इंजीनियर कंवर सेन के अथक प्रयासों के कारण इस नहर का नाम कंवरसेन लिफ्ट कैनाल रखा गया।
अस्तित्व खो रही है नहर
यह लिफ्ट कैनाल सालों से सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रही है। बजट, उचित रखरखाव व अधिकारियों कर्मचारियों की कमी से लिफ्ट अपना पुराना अस्तित्व खो रही है तथा राम भरोसे चल रही है।
वर्षों से चारों पंपिंग स्टेशनों पर अधिकारियों और तकनीकी कर्मचारियों की कमी, बजट के अभाव व उचित सार संभाल के अभाव मे अपने समय की सबसे बड़ी लिफ्ट योजना अपना अस्तित्व खो रही हैं। इसमें सुधार की जरूरत है।
कहां कितना ऊपर उठता है पानी
राजियासर पंपिंग स्टेशन से 58 फीट
मलकीसर पंपिंग स्टेशन से 19 फीट
खारा पंपिंग स्टेशन 48 फीट
हुंसगसर पंपिंग स्टेशन से 62 फीट
कुल 187 फीट पानी उठता है ऊपर
कंवरसेन लिफ्ट नहर एक नजर में
कुल लंबाई: 152 किलोमीटर
कुल पंपिंग स्टेशन: चार
कुल बिजली मोटरें: 29
सन् 1970 में निर्माण शुरु हुआ
सन् 1972 में हुआ निर्माण पूरा
नहर से 20 माइनर व 51 सीधे मोघो से होती है सिंचाई