महेन्द्रसिंह शेखावत] श्रीगंगानगर. कहा जाता है, पंछी, नदियां एवं पवन के झौंकों को कोई सरहद नहीं रोक पाती, लेकिन पड़ोसी मुल्क पाक की नापाक हरकतों के चलते सरहदी क्षेत्र में बरती जा रही कड़ी चौकसी से परिंदें भी अछूते नहीं बचे हैं। सबसे ज्यादा नजर तो शांति का प्रतीक समझे जाने वाले परिंदे कबूतर पर है। पाकिस्तान से उडकऱ सरहद पार कर इधर आने वाले कबूतरों पर पैनी नजर रखी जा रही है।
इसी का परिणाम है कि सरदही क्षेत्र में बड़ी संख्या में पड़ोसी मुल्क के कबूतर पकड़े जा रहे हैं। प्रदेश के चारों जिले, बाडमेर, जैसलमेर, बीकानेर एवं श्रीगंगानगर की सरहद पड़ोसी मुल्क की सीमा से लगती है। इन चारों जिलों में सर्वाधिक कबूतर श्रीगंगानगर क्षेत्र में पकड़े गए हैं।
बीते तीन साल के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो चार दर्जन के करीब कबूतर पकड़े जा चुके हैं। कबूतर भूलवश इधर आए या किसी खास मकसद से इनको भेजा गया, यह सवाल हमेशा सवाल ही बना रहता है। इनके पकड़े जाने पर जरूर सुरक्षा एजेंसियां हरकत में आती हैं लेकिन बाद में इनका कोई ठोस कारण सामने नहीं पाता। वैसे अब तक की जांच में कबूतर किसी जासूस कार्य के बजाय कबूतरबाजों के ही ज्यादा मिले हैं।
पंखों पर लिखे होते हैं संदेश
सूत्रों के अनुसार भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा के उस पार पाकिस्तान के कई गांव कुछ ही दूरी पर है जबकि बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर की भौगोलिक स्थिति अलग है। पाक के सरहदी गांवों में कबूतरबाजी के लिए कबूतर पालने का शौक रखने वाले लोग भी हैं। ये कबूतरबाजी के लिए कबूतर उड़ाते हैं।
कई बार उनके कबूतर उड़ते हुए भारत की तरफ आ जाते हैं। किसी कबूतर के पैरों में छल्ला डाला हुआ मिला तो किसी के पंखों पर अलग-अग रंगों की मुहर लगी हुई थी, कुछ उर्दू में लिखा हुआ था। बीकानेर में पकड़े गए कबूतर के पंखों पर तो चारणपुर टू लाहौर 225 किलोमीटर लिखा हुआ था।
खूब आते हैं गुब्बारे
सीमा पार से गुब्बारे भी खूब आते हैं। चारों जिलों में अमूनन हर माह कहीं न कहीं पाक गुब्बारा मिल ही जाता है। इन पर उर्दू में संदेश लिखे होते हैं। सामान्य गुब्बारे तो दिन विशेष पर ही छोड़े जाते हैं। हमारी तरह पाकिस्तान में भी मेले लगते हैं।
उन मेलों में उड़ाए गए गुब्बारे भी वहां से आ जाते हैं। कई बार मौसम विभाग के गुब्बारे भी आ जाते है। संयुक्त एजेसिंयां इनकी जांच करती हैं। इसके बाद इनको नष्ट कर दिया जाता है।
इनका कहना है
यह सही है कबूतरों की पहचान के लिए उनके पैरों में टैग भी लगे होते हैं। कोई कबूतर भारतीय सीमा में पकड़ा जाता है तो टैग देखकर उनके पाकिस्तान के जासूस होने का शक होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। अब तक की जांच में सीमा के उस पार से आने वाले कबूतर जासूस की बजाय कबूतरबाजों के ही पाए गए हैं।
-जितेंद्र न्यांगल, डिप्टी कमांडेंट, बीएसएफ, सामान्य शाखा)
सीमा पार से कबूतर या बाज आदि पक्षी आते हैं, उसकी सभी एजेंसियों की जांच कराई जाती है। इनका रेकॉर्ड रहता है। गुब्बारों को जांच के बाद नष्ट कर दिया जाता है जबकि पक्षियों को वन विभाग को सौंप दिया जाता है।
-आनंद शर्मा, पुलिस अधीक्षक, श्रीगंगानगर।
बीते तीन साल में कहां कितने कबूतर पकड़े
श्रीगंगानगर-38
जैसलमेर-6
बीकानेर-2
बाड़मेर -0