पंजाब में कुछ समय से अजीब-सी खामोशी है। हाल ही ‘वारिस पंजाब दे’ के मुखिया अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के बाद यह खामोशी बहुत कुछ कहती है। एक दौर में पंजाब नशे की गर्त में इस कदर डूबा कि उसे उड़ता पंजाब की उपमा दे दी गई। ताजा तस्वीर यह है कि यहां के ज्यादातर युवा सात समदंर पार जा रहे हैं। गांव सूने हो रहे हैं। दरअसल, खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियां, बेरोजगारी एवं नशे की बढ़ती प्रवृत्ति से चिंतित यहां के अभिभावक अपने बच्चों को विदेश भेजना चाहते हैं। ‘राजस्थान पत्रिका’ ने जाने पंजाब के हाल।
महेंद्रसिंह शेखावत
लुधियाना/ अमृतसर. नशे और आतंक की आशंका ने पंजाब Punjab के युवाओं में विदेश जाने की प्रवृत्ति को और बढ़ा दिया है। हाल यह है कि पंजाब के किसी भी शहर में चले जाएं, सड़कों के किनारे दो ही तरह के होर्डिंग्स ज्यादा नजर आएंगे। पंजाब के मुंख्यमंत्री भगवंत मान के या विदेशों में पढ़ाई के स्पेशल पैकेज के। कुछ शहर तो विदेशों में पढ़ाई के पोस्टर एवं बैनर से अटे पड़े हैं।
फिरोजपुर से फाजिल्का के मध्य जीरा नाम का कस्बा लोकलुभावन पैकेज के पोस्टरों से रंगा हुआ है। इसी तरह की दशा जालंधर के पास तल्हान गांव जाने वाले रास्ते की है। पंजाब के सबसे बड़े जिले एवं औद्योगिक नगरी के रूप में विख्यात लुधियाना के ब्राउन रोड पर पराठे की दुकान पर सुबह-सुबह भीड़ लगी है। दुकान चलाने वाले 43 वर्षीय रवींद्रसिंह बिष्ट से युवाओं के विदेश जाने के बारे में पूछा तो बोले, यहां विदेश जाने का ट्रेंड है। वहां पढ़ाई के साथ रोजगार भी मिल जाता है।
छह साल में ही पांच लाख हुए परदेसी
लोकसभा में पिछले साल दिए गए आंकड़े के मुताबिक 2016 से 2022 तक छह साल में पंजाब से पांच लाख लोग विदेश जाकर बस गए। इन छह साल में पंजाब से 2.62 लाख बच्चे पढऩे के लिए विदेशों का रुख कर चुके हैं। पंजाब के युवा प्रमुख रूप से कनाडा जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड जाने वालों की संख्या भी कम नहीं है।
पंजाब की बयार श्रीगंगानगर तक…
पंजाब से सटा होने के कारण विदेश जाने का रुझान राजस्थान के श्रीगंगानगर में भी तेजी से बढ़ रहा है। कोचिंग सेंटर संचालक निर्मल ने बताया कि विदेश जाने वालों में स्टूडेंटस की संख्या ज्यादा है। पढ़ाई के लिए उन्हें वीजा भी जल्दी मिल जाता है। जिले में आइलेट््स (अंग्रेजी भाषा दक्षता का टेस्ट) और पीटीई कोर्स कराने वाले करीब 200 से अधिक सेंटर संचालित हो रहे हैं। श्रीगंगानगर में 2021 में कोरोना महामारी के कारण पासपोर्ट के सत्यापन के लिए 13 हजार 111 आवेदन आए थे। इसके बाद 2022 में 22 हजार 885 आवेदन आए। इस साल फरवरी मध्य तक 3081 आवेदन सत्यापन के लिए आ चुके हैं।
अभिभावकों का डर, नशा न करने लगें
प्रदेश के हालात पर अमृतसर के सामाजिक कार्यकर्ता रमेशकुमार बैरी कहते हैं कि खालिस्तान बनाने की ताजा मांग, बेरोजगारी और नशे ने पंजाब को गिरफ्त में ले रखा है। अभिभावक इस तरह के हालात से परेशान हैं। वे मानते हैं मौजूदा हालात में बच्चा यहां रुका तो उसका कॅरियर चौपट होने और नशे की गिरफ्त में आने की आशंका है।
खुलते शादी के रास्ते
बैरी ने कहा कि विदेश जाने पर शादी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। यहां रहेंगे तो रोजगार की गारंटी नहीं है और बेरोजगार से कोई रिश्ता करना नहीं चाहता। लुधियाना में होटल व्यवसाय से जुड़े गोंडा (उत्तरप्रदेश) के दीनानाथ मिश्रा कहते हैं, कनाडा में छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ पार्टटाइम जॉब का ऑप्शन मिल जाता है। यह पार्टटाइम जॉब सप्ताह में 10 से 20 घंटे का होता है। इससे छात्र जेब खर्च निकाल लेते हैं।