सूरत. अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के दौरान बड़ी संख्या में डिंडोली-खरवासा और कड़ोदरा की नहर में विसर्जित की गई। वहां प्रतिमाओं की दुर्दशा देख सांस्कृतिक रक्षा समिति के सदस्यों ने शुक्रवार को इन प्रतिमाओं का पुन:विसर्जन किया। सदस्यों ने मिलकर नहरों से 2500 से अधिक प्रतिमाएं बाहर निकाली और ट्रक के जरिए समुद्र में ससम्मान बप्पा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया।
समिति के अध्यक्ष आशीष सूर्यवंशी ने बताया कि गुरुवार को गणेश विसर्जन के लिए मनपा प्रशासन की ओर से कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया था। इसके बावजूद कई लोगों ने डिंडोली-खरवासा और कड़ोदार की नहरों में प्रतिमाओं का विसर्जन किया। नहर में गंदा और कम पानी होने के कारण प्रतिमाएं ठीक से विसर्जित नहीं हुई थी और ऐसी ही पड़ी हुई थीं। यह देखकर किसी भी व्यक्ति की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंच सकती थी। सांस्कृतिक रक्षा समिति के सदस्यों ने इन प्रतिमाओं को ससम्मान के साथ पुन:विसर्जन करने का तय किया। समिति के सदस्यों ने नहरों पर जाकर 2500 से अधिक प्रतिमाएं निकाली और उन्हें ट्रक में समुद्र किनारे ले जाकर ससम्मान विसर्जन किया। अध्यक्ष सूर्यवंशी ने कहा कि लोग गणपति प्रतिमा की स्थापना करने के बाद दस दिन तक जिस भाव से आराधना करते हैं, उसी तरह प्रतिमा के ससम्मान विसर्जन का भी ध्यान रखना चाहिए।