उज्जैन. राजाधिराज भगवान महाकाल के दरबार में 12 नवंबर को दीपावली की धूम रहेगी। तडक़े 4 बजे भस्म आरती में पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान महाकाल को केसर चंदन का उबटन लगाएंगी। इसके बाद बाबा को गरम जल से स्नान कराया जाएगा। शृंगार के बाद अन्नकूट का महाभोग लगाकर फूलझड़ी से आरती की जाएगी। मंदिर की परंपरानुसार धनतेरस १० नवंबर से ही दीपपर्व की शुरुआत होगी। इस बार अभ्यंग स्नान और अन्नकूट एक ही दिन लगाया जाएगा। अर्थात रूप चौदस और दीपोत्सव एक ही दिन होगा।
पुजारी आशीष गुरु ने बताया ज्योतिर्लिंग की पूजन परंपरा के अनुसार सभी त्योहार सबसे पहले बाबा महाकाल के आंगन में मनाया जाता है। दीपावली भी कार्तिक अमावस्या की जगह कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन तडक़े 4 बजे भस्म आरती में मनाई जाती है। इसी दिन भगवान को अन्नकूट भोग लगाया जाता है। सुबह चतुर्दशी व शाम को अमावस्या तिथि अत: राजा और प्रजा एक ही दिन दीपावली मनाएंगे। 12 नवंबर को तडक़े 4 बजे भस्म आरती में भगवान महाकाल को केसर, चंदन व अन्य सुगंधित द्रव्यों का उबटन लगाकर गरम जल से स्नान कराया जाएगा। इसके बाद सोने-चांदी के अभूषण तथा नए परिधान धारण कराकर दिव्य स्वरूप में श्रृंगारित किया जाएगा। अन्नकूट का भोग लगाकर फूलझड़ी से आरती की जाएगी।
धनतेरस पर पुरोहित समिति करेगी कुबेर पूजा
महाकाल मंदिर में धनतेरस का पर्व 10 नवंबर को मनाया जाएगा। इसी दिन से दीपपर्व का शुभारंभ होता है। धनतेरस पर धर्मस्व पुजारी-पुरोहित समिति द्वारा पूजन किया जाता है। पुरोहित पं. अशोक शर्मा ने बताया १० नवंबर को सुबह 9 बजे कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम व प्रशासक संदीप कुमार सोनी के आतिथ्य में देश में सुख, समृद्धि तथा आरोग्यता की कामना से भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना की जाएगी। देश, प्रदेश व नगर में समृद्धि बनी रहे, इसलिए पुजारी-पुरोहित भगवान महाकाल को चांदी का सिक्का अर्पित करेंगे। सभा मंडप में गणेश पूजन, अभिषेक पूजन के बाद महाआरती होगी।