उज्जैन. सावन-भादौ की तर्ज पर बाबा महाकाल की पालकी पूरे लाव-लश्कर के साथ नगर भ्रमण पर निकली। मनमहेश स्वरूप का दर्शन पाकर भक्त निहाल हो गए। झांझ-डमरूओं की धुन पर नाचते-गाते हुए श्रद्धालु बाबा महाकाल की पालकी के साथ निकले। रास्तों पर रंगोली के चटख रंग सवारी की शोभा बढ़ा रहे थे, तो ढोल-ताशों पर नाचते-गाते हुए भक्तों की टोली से पूरा वातावरण शिवमय हो गया। करीब 100 से अधिक मंचों से पुष्पवर्षा हुई। प्रसाद बांटा गया। बाबा की झलक पाने के लिए श्रद्धालु घंटों इंतजार में बैठे रहे।
हर साल दशहरे पर सवारी निकाली जाती है, इस बार एक दिन पहले निकली, तो कई लोगों को इस बारे में जानकारी ही नहीं थी। ऐनवक्त पर कुछ लोगों ने मार्ग में मंच बनाकर स्वागत की तैयारी की। वहीं कुछ लोगों को लगा कि आज सवारी निकल रही है, तो क्या रावण भी आज ही जलेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ग्वालियर स्टेट के पंचांग में उल्लेख के चलते एक दिन पहले सवारी निकली, और मंगलवार 24 अक्टूबर को रावण के पुतलों का दहन किया जाएगा। फ्रीगंज आने पर श्रद्धालुओं ने आरती की थाल सजाकर पूजन-अर्चन किया। वहीं मार्ग में आने वाले मंदिरों से भी बाबा की पालकी पर पुष्प वर्षा की गई।