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Video: जानिए आदित्य एल-1 की डिवाइस डिजाइन करने वाले उज्जैन के वैज्ञानिक आफाक की कहानी

सूरज की एनर्जी खत्म क्यों नहीं होती, इस सवाल ने आफाक को आदित्य एल-1 का हिस्सा बनाया, आइआइटी में चयन हुआ लेकिन आर्थिक स्थिति के कारण नहीं जा सके, आज नासा की स्कॉलरशीप पर अमेरिका में पीएचडी कर रहे हैं

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उज्जैन. सूरज में कौनसी एनर्जी है, ऐसी क्या विशेषता है जिसके कारण इसकी एनर्जी कभी खत्म नहीं होती… कुछ ऐसे अनुत्तरीत सवालों का जवाब तलाशने की जिज्ञासा ने उज्जैन के बेहद सामान्य परिवार के आफाक रजा खान वह वैज्ञानिक बना दिया या जिनकी आदित्य एल-१ मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका है। सेटेलाइट के सात में से एक पेलोड सुआइटी की डिवाइज डिजाइन आफाक और उनकी टीम ने की है। आज आफाक बेहद खुश है कि भारत सरज के सफर पर निकला है और इसमें उनका भी योगदान है। इस विशेष अवसर पर उन्होनें पत्रिका से अपना विज्ञान का सफर साझा किया।
मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूं। माता-पिता की शिक्षा के कारण आगे बढ़ने, देश के लिए कुछ करने का जज्बा हमेशा बना रहा। उज्जैन से स्कूली शिक्षा करने के बाद आईआईटी अमेठी में चयन हुआ लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने से नहीं जा सका। भोपाल एनआइटी से बीटेक मेकेनिकल किया। शुरआत से सौरमंडल के अध्ययन में रूचि थी इसलिए उज्जैन में रहते हुए वराहमिहिर शोध संस्थान के कई वर्कशॉप की। सस्ता टेलेस्कोप बनाया। बीटेक के बाद एक साल अशोक युनिर्वसिटी से स्कॉलरशिप की। पीएचडी के लिए आयुका के साइंटिस्ट से रिकमन्डेशन लेटर का निवेदन किया। उन्होंने इसरो के लिए चल रहे बड़े प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए मुझे आयुका ज्वाइन करने का प्रस्ताव दिया। मैंने अपनी पढ़ाई को कुछ समय के लिए रोकते हुए आयुका ज्वाइन कर लिया। मैं २३ वर्ष की उम्र में इंजीनियर बन चुका था। मुझे टीम लीडर की जिम्मेदारी मिली। हमारी टीम ने पेलोड सुआइटी पर कार्य किया। करीब चार वर्ष काम करने के बाद जब डिवाइस डिजाइन पूरी तरह तैयार हो गई तो मैंने फिर पीएचडी के अप्लाई किया। नासा ने अपने प्रोजेक्ट के लिए मुझे चुना। पीएचडी के लिए नासा द्वारा स्कॉलरशिप दी गई है और दो प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है।

भोजन के रुपए नहीं तो पोहे से पेट भरा
आफाक की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वे सर्वसुविधाओं के साथ रह सके। भोपाल में इंजीनियरिंग के दौरान कई बार ऐसा होता कि उनके पास खाना खाने तक के लिए पर्याप्त रुपए नहीं होते थे। वे सिर्फ एक कप चाय और १० रुपए के पोहे खाकर पूरा दिन निकाल देते। पढ़ाई के लिए कभी कोचिंग नहीं लगाई। पिता आरयू खान स्कूल में शिक्षक और मां फेहबिदा कोचिंग क्लास चलाती थीं, प्रारंभिक शिक्षा में उनका काफी सहयोग मिला। यह उनकी शिक्षा की शक्ति ही है कि आज आफाक को पीएचडी करने के लिए नासा ने १.७ करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप दे रहा है।
बहन को उपहार, २ तारीख को लांच हुआ आदित्य
आफाक की छोटी बहन डेंटिस्ट डॉ. अल्फ का शनिवार को जन्म दिन है। पिता आरयू खान बताते हैं, कुछ महीने पूर्व प्रोजेक्ट से जुडे वैज्ञानिक-इंजीनियर्स से आदित्य एल-१ को लांच करने के लिए उचित तारीख का प्रस्ताव लिया गया था। आफाक ने २ सितंबर के प्रस्ताव पर सहमति दी थी। उनका कहना था कि मैं बहन को हमारे द्वारा पेलोड वाले सेटेलाइट की लांचिंग का गिफ्ट देना चाहता हूं।

विज्ञान में भारत की भागीदारी बढे
आफाक कहते हैं, मेरे लिए गौरव की बात है कि मैं अपने देश को कहीं रिप्रजेंट कर सकूं। पीएचडी होने के बाद मुझे अवसर मिला तो मैं भारत राष्ट्रीय संस्थान में बतौर वैज्ञानिक काम करना चाहूंगा। नासा और इसरो या अन्य राष्ट्रीय संस्थाओं के संयुक्त कार्य हो जिससे अंतराष्ट्रीय विज्ञान में भारत की भागीदारी बढ़े और में भारत का प्रतिनिधित्व करूं। मैं अपना टेलिस्कोप भी बनाना चाहता हूं।

आखिरी बार कोरोना में उज्जैन आए
पढ़ाई के प्रति आफाक शुरु से ही गंभीर रहे हैं। कॉलेज टाइम में वे छुट्टी के एक दिन घर आते थे। आयुका में जाने के बाद तो महीनों तक वे घर नहीं आ पाते। आखिरी बार वे कोरोना के दोरोना अमेरिका से उज्जैन आए थे। उन्होंने परिवार को इसकी सूचना नहीं दी और अचानक घर पहुंचकर सभी को चौका दिया था। तब वे करीब १५ दिन उज्जैन रहे थे। दो वर्ष से वे घर नहीं आ सके हैं।

रिजल्ट देखने से पहले खरीदते मिठाई
आफाक को अपनी पढ़ाई पर हमेशा भरोसा रहा। स्कूल शिक्षा के दौरान जिस दिन उनका रिजल्ट आता वे स्कूल जाने के दोरोन ही रास्ते में पिता से गुपचुप मिठाई खरीदवाते और खाते थे। वे विश्वास के साथ पिता से कहते कि आप चिंता न करें, टॉव व या टू में ही मेरा नाम होगा। हमेशा ऐसा होता भी था।
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स्कूल में सभी ने देखा लाइव
पिता आरयू खान महाराजा स्कूल में प्राचार्य हैं। शनिवार को आदित्य एल-१ की लांचिंग का लाइव स्कूल में दिखाया गया। स्टॉफ के साथ ही बच्चो ने भी इसे देखा। सफल लॉचिंग पर खान ने सभी का मुंह मिठा करवाया। सांसद अनिल फिरोजिया, प्रो.एसएम गुप्ता, प्रो. राजेंद्र सजलानी, वीरेंद्र सर, पीसी बिरवा, अनिल मालू ने खान को पुत्र की इस उपलब्धि पर बधाई दी।

सूरज के फोटो लेगा सूआईटी
आदित्य एल-१ के सेटेलाइट में कुल सात पेलोड (बोर्ड पर उपकरण) लगे हैं। सभी का अलग-अलग कार्य है। आफाक और उनकी टीम ने इनमें से एक सोलर अल्ट्रावाइलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (सूआइटी) का डिवाइस डिजाइन किया है। सूआइटी पर लेंस है जो एल-१ से सूरज के फोटो लेकर धरती पर भेजेंगे।