जिलाधिकारी के आदेश पर 15 फरवरी को गंगा घाट से शक को गड्ढे से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए दोबारा लाया गया। पीजीआई के डॉक्टर द्वारा पोस्टमार्टम किया गया। जिसमें चोट के निशान की जानकारी हुई। जबकि पहले रिपोर्ट में चोट का कोई निशान नहीं था और यही विवाद का विषय बन गया। दलित किशोरी की हत्या मामले में कांग्रेस लगातार मुखर थी। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनी बंसल भी मौके पर पहुंच गई। अलग पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर जिला जज के न्यायालय पहुंची और एक्सपर्ट मेडिकल बोर्ड के द्वारा मृतक किशोरी के शव का पोस्टमार्टम कराया जाने को लेकर पत्र दिया। लेकिन जिला जज ने सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता की मांग पूरी नहीं की। उन्हें हाई कोर्ट या फिर जिला अधिकारी से संपर्क करने को कहा गया।