23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

वाराणसी

नहीं हो सकी रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला

19वीं शताब्दी में शुरू हुई थी रामलीला, नहीं हो सका आज का प्रहसन।

Google source verification

वाराणसी. विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला की परंपरा गुरुवार को टूट गई। करीब दो सौ साल पुरानी यह लीला आज नहीं हो सकी। वजह लीला के पात्रों का बीमार होना है। रामनगर की रामलीला के प्रमुख पात्रों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के बीमार होने की सूचना मिलते ही बनारस में हड़कंप मचा गया। बीमार सभी पात्रों को रामनगर राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।

जानकारी के मुताबिक शत्रुघ्न स्वरूपी अंश झा, लक्ष्मण स्वरूपी शशांक व्यास सहित सभी बीमार पात्र राजमहल के मलहिया टोला स्थित धर्मशाला में रहते हैं। यहां डायरिया का प्रकोप है। आशंका है कि दूषित पेयजल पीने से ये डायरिया के चपेट में आए हैं। हालांकि रामनगर पालिका परिषद की चेयरमैन रेखा शर्मा ने क्षेत्र में दूषित जलापूर्ति की बात को सिरे से खारिज किया है।

यहां यह बता दें कि यह पहला मौका है जब पात्रों के अस्वस्थ होने के चलते रामनगर की ऐतिहासिक लीला को स्थगित करना पड़ा है। रामनगर की ऐतिहासिक रामलीला के पात्रों के अस्वस्थ होने की सूचना मिलते ही कांग्रेस नेता आनन-फानन में रामनगर स्थित राजकीय चिकित्सालय पहुंचे और सभी पात्रों से मिल कर उनका हाल जाना। रामनगर जाने वालों में पूर्व मंत्री अजय राय, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सतीश चौबे प्रमुख रहे।

रामनगर की रामलीला का इतिहास
0-रामनगर के लोग बताते हैं कि महराज महीपनारायण सिंह एक बार चुनार में रामलीला के मुख्य अतिथि के रूप में गए थे। वह रामलीला स्थल पर कुछ विलंब से पहुंचे तब तक धनुष भंग हो चुका था। उनको इस बात का काफी मलाल था। 1855 में उन्होंने रामनगर की लीला को खुद शुरू कराई।
0-महराजा महीपनारायण सिंह का बेटा उदित नारायण सिंह एक बार बुखार से तप रहा था। महराज ने लीला में प्रभु राम से मनाया कि जल्दी ठीक कर दें। तभी लीला में राम ने एक माला महराज की ओर फेंका, उन्होंने माला उदित के माथे के नीचे रख दिया। सुबह युवराज पूरी तरह स्वस्थ हो गए।