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मनरेगा में काम के लिए 25 हजार कमीशन, सांसद-विधायक को 25 प्रतिशत कमीशन चाहिए!

Patrika Special कमीशन का खुल्ला खेल फर्रुखाबादी! मनरेगा में भ्रष्टाचार व सांसद-विधायकों के कमीशन का खेल का वीडियो आया सामने पंचायत प्रतिनिधि और मनरेगा एपीओ के बीच बातचीत का वीडियो वायरल राजनीतिक गलियारे में वीडियो को लेकर मचा हड़कंप

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मनरेगा में काम के लिए 25 हजार कमीशन, सांसद-विधायक को 25 प्रतिशत कमीशन चाहिए!

मनरेगा में काम के लिए 25 हजार कमीशन, सांसद-विधायक को 25 प्रतिशत कमीशन चाहिए!

त्योंदा(विदिशा)। बेपटरी हुए विकास में तेजी लाने व बेरोजगार हुए मजदूरों को अधिक से अधिक रोजगार के लिए जहां सरकार अधिक से अधिक प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू कराना चाहती है तो इस तेजी में सरकारी बाबूओं को ‘कमाई का अवसर’ भी खूब दिख रहा है। मनरेगा में काम स्वीकृति के नाम पर खुलेआम वसूली का रेट खुल गया है। हद तो यह कि बिना कमीशन दिए काम नहीं होने की बात कहते हुए सहायक परियोजना अधिकारी ने जनप्रतिनिधियों का नाम लेते हुए बताया कि कौन कितना कमीशन के बिना काम नहीं किया कभी। वीडियो के वायरल होते ही जिले में हड़कंप मच गया है।
दरअसल, विदिशा के गंजबासौदा में एक सरपंच प्रतिनिधि मनरेगा का काम स्वीकृत कराने के सिलसिले में मनरेगा के सहायक परियोजना अधिकारी से मुलाकात किया। ग्राम पंचायत पचपीपरा के सरपंच प्रतिनिधि दिनेश पटेल व मनरेगा एपीओ खूब चंद पाल के बीच बातचीत का वीडियो जब सामने आया तो एमपी के राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मच गया। विकास कार्याें में कमीशनबाजी का खेल तो उजागर हुआ ही सांसद-विधायकों पर भी कमीशन लेने का आरोप लगा और वे कटघरे में खड़े दिख रहे।

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वीडियो में सरपंच प्रतिनिधि को मनरेगा एपीओ ने काम स्वीकृति के लिए कमीशन का रेट बताया है। एक वीडियो में मनरेगा एपीओ यह कहते सुने जा रहे हैं कि सड़क की स्वीकृति के लिए पच्चीस हजार रुपये व तालाब का काम शुरू कराने के लिए पांच हजार रुपये कमीशन देने होंगे। कमीशन के बिना काम नहीं होने की बात कहते हुए एपीओ ने सरपंच को एक पूर्व विधायक का नाम लेते हुए कहा कि वह अपना काम 15 प्रतिशत में देते थे, 14 प्रतिशत में भी कोई उनसे काम स्वीकृत नहीं करा पाता था। हालांकि, वीडियो में ही बातचीत के दौरान सरपंच प्रतिनिधि दावा करते हैं कि पूर्व विधायक निशंक जैन, जिला पंचायत सदस्य गीता बाई, जनपद सदस्य राजकुमारी साहू ने उनसे काम के बदले एक भी रुपये नहीं लिए लेकिन एपीओ अपनी बात पर ही अड़े रहते हैं।
वीडियो में सरपंच प्रतिनिधि कमीशन कुछ कम करने की जब बात करते हैं तो एपीओ उनको कुछ नाम लेकर कहते हैं कि दोनों ने रेट बिगाड़ दिए हैं। आरोपी एपीओ वीडियो में यह दावा कर रहे हैं कि कमीशन देने के बाद तीन से चार दिन में काम स्वीकृत हो जाएगा।

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सांसद विधायक बिना कमीशन के काम नहीं देते!

सरपंच प्रतिनिधि को बिना कमीशन के काम स्वीकृत नहीं होने के बारे में समझाते हुए आरोपी मनरेगा एपीओ साफ बताते हुए देखे जा सकते हैं कि सांसद-विधायक किस तरह और कितना कमीशन लेते हैं। एपीओ ने कहा है कि सांसद-विधायक से कोई काम स्वीकृत कराने पर 25 प्रतिशत कमीशन देना पड़ता है। इससे कम पर वह लोग मानते नहीं। वह विदिशा के ही पूर्व विधायक कल्याण सिंह ठाकुर का नाम लेते हुए कहते हैं कि वह पंद्रह प्रतिशत के बिना काम स्वीकृत नहीं करते थे। अगर 14 प्रतिशत भी कमीशन है तो काम नहीं देते थे। जबकि वीडियो में अपना नाम आते ही पूर्व विधायक कल्याण सिंह ठाकुर ने कमीशन लेने की बात को खारिज करते हुए मनरेगा एपीओ पर मानहानि का दावा करने की बात कही है।
उधर, यह मामला सामने आते ही प्रशासनिक व सत्ता के गलियारे में हड़कंप मच गया है। जिला पंचायत विदिशा के सीईओ मयंक अग्रवाल ने एक जांच कमेटी गठित कर दी है। उन्होंने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया है, जांच रिपोर्ट के लिए कमेटी गठन हो चुका है।

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