
विदिशा। जिला अस्पताल में गुरुवार को एक घायल को देखने एक घंटे तक कोई डॉक्टर नहीं आया। स्ट्रेचर नहीं मिला तो परिजन उसे गोद में उठागर बमुश्किल पलंग तक ले गए। फिर भी कोई नहीं मिला तो उठाकर मेडिकल कॉलेज लाए। यहां मरीज को किसी तरह भर्ती किया। मामला कुरवाई के झागर ग्राम निवासी 40 वर्ष के लालू राजपूत का है।
पीड़ित लालू के चाचा लाखन सिंह ने बताया कि एक सड़क हादसे में घायल होने के बाद हम जिला अस्पताल में अपने भतीजे को लेकर आए। यहां उसे अंदर पहुंचाने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं मिला, ऐसे में पहले उसे हाथ में उठाकर अंदर तक लाए, कोई देखने वाले डॉक्टर नहीं मिले तो हाथों में ही संभाले घायल को वार्ड तक ले गए।
वहां लिटाया भी, लेकिन जब एक घंटे तक कोई डॉक्टर देखने नहीं आया तो फिर उसे उठाकर मेडिकल कॉलेज ले आए। राजपूत का कहना था कि बहुत सुना था जिला चिकित्सालय के बारे में लेकिन यहां आकर लगा कि कोई मर भी जाए तो भी किसी को चिंता नहीं है।
वर्धा: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ताला, डॉक्टरों ने नहीं उठाया फोन-
वहीं दूसरी ओर लापरवाही और संवेदनहीनता का दूसरा मामला ग्राम वर्धा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सामने आया है। जहां ग्राम प्रतापपुर निवासी प्रद्युम्न जाटव ने बताया कि वह अपनी भाभी प्रीति जाटव को एंबुलेंस से सुबह 6 बजे वर्धा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए। लेकिन यहां 2 घंटे तक अस्पताल का ताला ही नहीं खुला।
गर्भवती 2 घंटे तक दर्द से तड़पती रही। एंबुलेंस का ड्राइवर दूसरे अस्पताल जाने को तैयार नहीं था, बड़ी मिन्नत करने के बाद उसने हमें शमशाबाद के अस्पताल छोड़ा। अस्पताल में पदस्थ डॉ. समीक्षा तिवारी से फोन पर बात करनी चाही तो उन्होंने फोन नहीं उठाया, नहीं ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. नीतू राय ने भी फोन नहीं उठाया।
बाद में पीड़ित परिजन प्रद्युम्न जाटव ने शमशाबाद थाना प्रभारी को इस बारे में शिकायत की है। शिकायती पत्र में लिखा गया है कि सुबह दो घंटे गर्भवती तड़पती रही, हम अस्पताल के बाहर खड़े रहे लेकिन अस्पताल का ताला नहीं खोला गया। ऐसे में कुछ भी अनहोनी हो सकती थी।
सीएमएचओ ने की नोटिस की खानापूर्ति
जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एके उपाध्याय से वर्धा पीएचसी में ताला लगा होने और गर्भवती के तड़पते रहने के बारे में पूछा तो उन्होंने इतना कहकर ही बात खत्म कर दी कि वहां के स्टाफ को नोटिस देकर पूछा है कि वह कहां था? इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में किस तरह खानापूर्ति और लीपापोती हो रही है।
परिजन संतुष्ट नहीं हुए और मरीज को ले गए
इस मरीज को ड्यूटी डॉक्टर ने देखा था। उसके सिर में चोट थी, कान में से भी खून आ रहा था। मैं भी वहां मौजूद था। लेकिन परिजन संतुष्ट नहीं हुए और खुद उठाकर कहीं और ले गए।
- डॉ संजय खरे, सिविल सर्जन जिला अस्पताल
Published on:
05 Aug 2022 03:37 pm
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