उदयगिरी की पहाड़ी पर गुफा क्रमांक 20 के पास आर्कियोलॉजीकल सर्वे ऑफ इंडिया ने एक बोर्ड लगाया है, जिसमें उदयगिरी और सांची के भू विज्ञान का जिक्र है। भू विज्ञान के हवाले से इस बोर्ड पर लिखा गया है कि दस लाख वर्ष पूर्व यहां नदी या समुद्र था, हवा व पानी से बहकर मिट्टी समुद्रतल में जमा हो गई और ठोस होने लगी। करीब 5 लाख वर्ष पूर्व समुद्र तल की भूमि ऊपर उठ गई और विंध्याचल पर्वत श्रंखला का निर्माण हुआ। इन्हीं के साथ उदयगिरी के पहाड़ का निर्माण हुआ।
उदयगिरी के भू विज्ञान के बारे में लिखा है कि इस पहाड़ी पर अभी भी समुद्र तल से बने पानी के निशान दिखाई देते हैं। हमने उन्हें देखने का प्रयास किया तो इसी पहाड़ी पर कई जगह पानी की लहरों के निशान बिल्कुल स्पष्ट थे। उदयगिरी के पहाड़ी 5 लाख वर्ष पूर्व बने जबकि डायनासोर 1800 लाख वर्ष पूर्व रहे हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
पुरातत्ववेत्ता डॉ. नारायण व्यास कहते हैं कि विंध्याचल पर्वत श्रंखला ऐसी ही है। जब इनका निर्माण हुआ तब यहां कोई जीव नहीं थे। पानी ही पानी था, पूरा इलाका जलमग्न रहा होगा। फिर परत वाली चट्टानें बनीं, जिन्हें सेडीमेंटरी रॉक्स कहते हैं। इन चट्टानों पर अभी भी रिपल मार्क लहरों के समान दिखाई देते हैं। विदिशा की उदयगिरी, सांची, सलकनपुर, भीमबैठका की पहाडिय़ां उसी समय की हैं। यह संभव है कि पूरा मध्यभारत ही कभी जलमग्न था।