
weight loss
लंबे समय से किसी रोग से पीडि़त, टीबी, एचआईवी, हृदय रोगी, गठिया, दमा, किडनी के मरीजों को ककैक्सिया की आशंका ज्यादा होती है। जबकि कैंसर की आखिरी स्टेज में रोगी इसकी चपेट में आ सकता है। कारण इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना है। इस रोग में शरीर में प्रोटीन व फैट की कमी होने से वजन तेजी से घटता है व थोड़े समय में ही मरीज दुबला-पतला दिखने लगता है। उसमें रोग से लडऩे की क्षमता घट जाती है।
सतर्कता बरतें
वजन एक साल में यदि 5-10 फीसदी घटे तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
इलाज
ककैक्सिया के मरीज का वजन किस कारण से कम हुआ पहले इसका पता लगाया जाता है। इसके बाद कुछ जांचें की जाती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए दवाएं शुरू करते हैं। ताकि संक्रमण के कारकों को कम किया जा सके। ककैक्सिया के मरीज की स्थिति और कुछ प्रमुख लक्षणों को देखने के बाद ही इलाज तय होता है। होम्योपैथी में विशेषज्ञ लक्षणों के आधार पर बाइक्रोम, लाइकोपोडिएम, कार्सिनोजिनम दवाएं देते हैं।
ऐसे पहचानें
पहले से हो रहे किसी रोग के कारण शरीर में पौष्टिक तत्त्वों की कमी होना अहम कारण है। भूख न लगना, कमजोरी व थकान, कुछ करने की इच्छा न होना, उदासी छाना, सर्दी लगने के साथ खांसी-जुकाम रहना, हाथ-पैर का अधिक पतला होना, वजन न उठा पाना, कपड़ों का अचानक ढ़ीला होना रोग के लक्षण हैं।
औषधियुक्त तेल से मसाज
ककैक्सिया कास्र्य यानी सूखा रोग है। जिसे आयुर्वेद में अष्ट निंदीत पुरुष भी कहते हैं। इसमें रोगी का इलाज आठ तरीके -नाड़ी की जांच, मल-मूत्र का रंग, जीभ, आंख, शरीर की बनावट, स्पर्श व नाखून का रंग देखकर करते हैं। कैंसर रोगी को ककैक्सिया है तो दवा के साथ उसके लिए पंचकर्म फायदेमंद है। इसमें रोगी के शरीर की कोशिकाओं को ताकत देने के लिए प्रकृति स्थापन, रसायन चिकित्सा, रोग नासिकी चिकित्सा और आध्यात्मिक चिकित्सा देते हैं। औषधियुक्त तेल से मसाज देते हैं। साथ ही अश्वगंधा, शतावरी, मधुयस्टि समेत अन्य तरह की दवाएं भी उपयोगी हैं।
Published on:
07 Nov 2017 06:12 pm
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