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मौत के इस पहाड़ में अब तक समा चुके हैं लाखों लोग, सच्चाई से दहल जाएगा दिल

हम यहां एक पहाड़ की बात कर रहे हैं जिसका सीधा कनेक्शन मौत से है। इसीलिए इसे मौत का पहाड़ कहें तो गलत नहीं होगा।

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Arijita Sen

Sep 16, 2018

केरो रिको माउंटेन

मौत के इस पहाड़ पर अब तक समा चुके हैं लाखों लोग, सच्चाई से दहल जाएगा दिल

नई दिल्ली। दुनिया में जानने व देखने के लिए कई सारी चीजें हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही डरावनी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आपकी रुह कांप जाएगी। हम यहां एक पहाड़ की बात कर रहे हैं जिसका सीधा कनेक्शन मौत से है। इसीलिए इसे मौत का पहाड़ कहें तो गलत नहीं होगा।

हम यहां मध्य-दक्षिण अमरीका में स्थित देश बोलिविया की बात कर रहे हैं। यहां के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में केरो रिको माउंटेन लोगों के बीच दहशत की वजह बन चुकी है। इसे मौत का पहाड़ इसलिए कहा जाता है क्योंकि अब तक यहां लाखों लोगों की मौत हो चुकी है।इतिहासकार एडुआर्डो गेलीनो के अनुसार, 16वीं सदी से लेकर अब तक इन पहाड़ों में 80 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। मौत का यह आंकड़ा वाकई में बहुत बड़ा है।

इस बारे में पूरी तरह जानने के लिए हमें इतिहास की ओर रूख करना होगा। आपको बता दें कि, बोलिविया पर लंबे समय तक स्पेन के लोगों ने राज किया है। उस वक्त ये लोग इसे रिच माउंटेन कहकर बुलाते थे क्योंकि यहां चांदी की मात्रा काफी ज्यादा थी। उस दौरान स्पेन के लोगों को तो ऐसा भी लगता था कि यह पूरा का पूरा पहाड़ ही चांदी के अयस्क से बना है।

1545 में स्पेनियों ने केरो रिको पहाड़ की तलहटी में रहने के लिए एक छोटा सा शहर स्थापित किया। बोलिविया के करीब 30 लाख मूल निवासियों को जबरदस्ती उन्होंने इस पहाड़ पर माइनिंग के काम में लगाया। इस तरह से स्थानीय लोगों की मदद से स्पेनियों ने इस पहाड़ से 2 अरब औंस चांदी निकाली। कहा तो यह भी जाता है कि इसी चांदी की वजह से स्पेन अमीर बना।

इधर लगातार खुदाई और खनन की वजह से इस पहाड़ की ऊंचाई काफी हद तक कम हो गई, जगह-जगह गड्ढे और सुरंगें बन गई। इन सब कारणों के चलते अब इस पहाड़ में माइनिंग का काम काफी जोखिम भरा हो चुका है। हर पल यहां दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है। यह इस कदर खोखला बन चुका है कि कभी भी ढह सकता है। आज भी यहां लगभग 15 हजार माइनर्स काम करते हैं।

हालात इतने बुरे हैं कि एक तरफ जहां पहाड़ों पर खतरा है वहीं चारों तरफ धूल और चट्टानों से निकलने वाली जहरीली गैसों से नीचे तलहटी में रहने वाले लोगों का भी जीना दुश्वार हो गया है। एक तरफ कई महिलाएं विधवा बन चुकी हैं क्योंकि उनके पति इन खदानों में काम करते हुए मारे गए हैं। यह सिलसिला अभी भी जारी है। यहां हर महीने औसतन 14-15 महिलाएं विधवा बन जाती है।

इसके साथ ही काम करने वाले श्रमिकों को दिनभर काफी मेहनत करनी पड़ती है। इन्हें खुदाई कर अयस्कों को पीठ पर लादकर लाना होता है। जिसके चलते इन पुरूषों की औसत आयु सिर्फ 40 साल ही है।इन्हीं सब कारणों से स्थानीय निवासी इस पहाड़ को अभिशाप मानती है जो लाखों लोगों को निगल चुकी है। यहां की माइंस में एल टियो की मूर्तियां लगी हुई हैं। एल टियो सींग वाला एक राक्षय है जिसे गहराइयों का स्वामी माना जाता है। भीषण परिस्थितियों में बचे रहने के लिए इन मूर्तियों को लगाया गया है।