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हर साल अपने-आप ही बढ़ रहा है इस शिवलिंग का आकार, अब तक कोई नहीं जान पाया इसका रहस्य

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित भूतेश्वरनाथ शिवलिंग की बात ही कुछ और है।

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Arijita Sen

Jan 06, 2019

 भूतेश्वरनाथ शिवलिंग

हर साल अपने-आप ही बढ़ रहा है इस शिवलिंग का आकार, अब तक कोई नहीं जान पाया इसका रहस्य

नई दिल्ली। किसी भी चीज को समझने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण का होना बहुत आवश्यक है तभी उसे बेहतर ढंग से जाना जा सकता है, लेकिन दुनिया में कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो विज्ञान की समझ से परे है। इन घटनाओं के आगे विज्ञान ने भी घुटने टेक दिए हैं। इस धरती में आश्चर्यों की कोई कमी नहीं है। आज एक ऐसी ही अजीबोगरीब घटना का जिक्र हम आपके सामने करने जा रहे हैं जिसे जानकर हर कोई दंग रह जाएगा।

भूतेश्वरनाथ शिवलिंग " src="https://new-img.patrika.com/upload/2019/01/06/1_3_3935239-m.jpg">

जैसा कि आप जानते ही हैं कि शिव जी की आराधना मूर्ति और शिवलिंग दोनों ही रूप में की जाती है। आपने अब तक शिव जी के कई मंदिरों के दर्शन किए होंगे, लेकिन छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित भूतेश्वरनाथ शिवलिंग की बात ही कुछ और है। सबसे पहले बता दें कि इसे दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है।

प्राकृतिक रूप से निर्मित इस शिवलिंग की एक और खासियत यह है कि इसका आकार हर साल बढ़ता ही जा रहा है। जी हां, जमीन से लगभग 18 फीट ऊंचा और 20 फीट गोलाकार इस शिवलिंग का आकार सालों साल बढ़ता ही जा रहा है। राजस्व विभाग हर साल जब भी इसकी उचांई नापती है तो इसे 6 से 8 इंच तक बढ़ा हुआ पाते हैं।

12 ज्योतिर्लिंगों की तरह भूतेश्वरनाथ को भी अर्धनारीश्वर शिवलिंग होने की मान्यता प्राप्त है। हर साल सैकड़ों की संख्या में कांवरिए इस शिवलिंग का दर्शन और जलाभिषेक करने पैदल यात्रा कर यहां पहुंचते हैं। इस अनोखे शिवलिंग के बारे में प्रचलित कथा के अनुसार, आज से कई सौ साल पहले यहां एक जमींदार की खेती-बाड़ी थी। शोभा सिंह नाम का यह जमींदार हर रोज शाम के वक्त अपने खेत में घूमने जाता था। एक दिन शोभा सिंह को खेत के पास मौजूद एक विशेष आकृतिनुमा टीले से सांड के हुंकारने और शेर के दहाड़ने की आवाज सुनाई दी।

गांववासियों को जब इस बात की जानकारी दी गई तो सभी ने मिलकर बहुत ढूंढ़ा, लेकिन कहीं कोई नहीं मिला। हालांकि वहां उन्हें एक एक छोटा सा शिवलिंग मिला। लोग उसे वहीं रखकर उसकी पूजा करने लगे। हर साल उस शिवलिंग की आकृति बढ़ती ही गई। लोगों उसे और भी मन से पूजने लगे। उस दिन से लेकर आज भी इसका बढ़ना जारी है। इस टीले की लंबाई के बढ़ने के पीछे का कारण क्या है इस बारे में अभी भी कुछ पता नहीं लग पाया है। आज भी देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं और शिव जी की पूजा करते हैं।